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06:30 AM Feb 01, 2024 IST

जरूरी हैं न्यायिक सुधार

सुप्रीम कोर्ट की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री के अनुसार समय पर न्याय मिलना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। यह सुकून की बात है कि न्यायालय में भी आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से इंटरनेट का प्रयोग और डॉक्यूमेंट की ई-फाइलिंग की जा रही है इससे न्याय की गति में तेजी आएगी। मगर असल मुद्दा तो यह है कि न्यायालय में रिक्त पड़े पदों की तत्काल पूर्ति की जाए। एक निश्चित अवधि में किसी भी केस का फैसला नहीं आने पर फरियादी को पूरी कोर्ट फीस वापस दी जाए। साथ ही किसी भी व्यक्ति को जमानत में देरी होने पर 15 दिन से अधिक जेल में नहीं रखे जाने का नियम भी बनाया जाए।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.

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गिरती गरिमा

इकतीस जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘गया राम व पलटूरामों के रहमोकरम पर लोकतंत्र’ विश्लेषण करने वाला था। जिस तरह राजनेता मतदाताओं के विश्वास को नजरअंदाज कर बार-बार पाला बदलते हैं वह न केवल मतदाता से विश्वासघात है बल्कि लोकतंत्र के लिए खतरा भी है। वर्तमान परिपेक्ष में नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर बिहार में नौंवी बार मुख्यमंत्री का पद पक्का कर लिया। राजनीति में नैतिकता तथा गरिमा खत्म होती जा रही है।
शामलाल कौशल, रोहतक

चुनावी साल में

वर्षों से परंपरा रही है कि चुनावी वर्ष के मद्देनजर जनता पर नया करारोपण नहीं होता, बल्कि छूट अवश्य प्रदाय होती है। ‘चुनावी साल में अंतरिम बजट से उम्मीदें’ लेख में डॉ. भंडारी ने उल्लेख किया है कि रेवड़ी बांटने के‌ बढ़े रिवाज को भी वित्तमंत्री साधकर जनता को निराश नहीं करेंगी। उम्मीद है कि कर्मियों तथा पिछड़े वर्ग को विशेष राहत मिलेगी तथा सुविधाओं में कोई कटौती भी नहीं होगी।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

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