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राजनीति की विडंबना
मायावती, भगवंत मान, अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी के बग़ावती सुरों से सांसत में पड़ा विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’, अब जनता दल (यू) सुप्रीमो, नीतीश कुमार के ताजा पाला बदल से बिखरने के कगार पर है। विडंबना देखिए कि भाजपा को तीसरी बार सत्ता में आने से रोकने के मकसद से विपक्षी दलों को एकजुट करने के अभियान के सूत्रधार नीतीश कुमार गठबंधन छोड़कर खुद उसी भाजपा से जा मिले, जिसे अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति में सबसे बड़ा रोड़ा मानते थे। अतीत में जिस भाजपा के साथ गठजोड़ करना अपनी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल बताया था, अब फिर उसी से जा मिले।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल
बाकी न्याय के मुद्दे
राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बिहार पहुंचने से पहले ही नीतीश कुमार ने तख्ता पलट कर इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दे दिया। राहुल ने ओबीसी और जाति आधारित जनगणना के मुद्दे को बिहार का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनाया। नीतीश कुमार की सरकार को इस पर जरूर जवाब देना होगा। अभी लगता है कि भाजपा इस गठबंधन से फायदा लेगी। लेकिन जिन सामाजिक न्याय के मुद्दों को लेकर नीतीश कुमार ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला था, वो आज भी कायम है। कांग्रेस, राजद और वामपंथी मिलकर इन मुद्दों पर जोरदार बैटिंग करने वाली है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
भारत के रत्न
हाल ही में जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का केंद्र सरकार का फैसला सराहनीय है। सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले कर्पूरी ठाकुर को लोग हमेशा याद रखेंगे। प्रधानमंत्री ने उनके ईमानदार व्यक्तित्व की सराहना की है। उन्होंने जननायक के कुर्ते का भी जिक्र किया। लेकिन क्या आज के दौर की राजनीति में यह संभव है कि ऐसे लोग भी सत्ता के शिखर पर पहुंच सके? कर्पूरी ठाकुर भारत की राजनीति में अपने बेहतरीन योगदान और ईमानदार छवि के लिए हमेशा याद किए जाते रहेंगे।
सुमित विशन सभ्रवाल, भिवानी
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