आपकी राय
एंटीबायोटिक के खतरे
बाईस जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘एंटीबायोटिक्स के खतरे’ विषय पर चर्चा करने वाला था। देखा गया है कि लोग अक्सर बिना डॉक्टर की पर्ची के एंटीबायोटिक्स अपने आप ही ले लेते हैं, उन्हें इसके दुष्परिणाम पता नहीं होते। इसके अतिरिक्त लगातार अधिक क्षमता वाली दवाओं का प्रयोग करने से उनका बाद में असर कम होना शुरू हो जाता है। इसके अलावा एंटीबायोटिक्स का ज्यादा प्रयोग करने से शरीर में बीमारी का मुकाबला करने की क्षमता कम हो जाती है। अतः अपने आप डॉक्टर बने मरीज और केमिस्ट इन एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक प्रयोग न करें।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
देर से सही निर्णय
भारत-म्यांमार सीमा के बीच बाड़बंदी करने का सरकार का विचार वहां गृह युद्ध को देखते हुए शरणार्थियों को रोकने के लिए अत्यावश्यक था। इसे शीघ्रता से पूर्ण किया जाना चाहिए। अभी तक म्यांमार से मिजोरम और आसपास के प्रदेशों में तीस हजार से अधिक शरणार्थी आ चुके हैं। जो आने वाले समय में देश के लिए भी एक चुनौती हो सकती है। अभी तक भारत-म्यांमार के बीच आम जनता के लिए आवागमन पर प्रतिबंध नहीं था। सवाल उठता है कि शरणार्थियों के जीवनयापन की व्यवस्था का बोझ भारत क्यों उठाए? देखा है कि शरणार्थियों को शरण देने के बाद उन्हें देश से वापस निकालना बड़ा ही मुश्किल हो जाता है।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.
साइकिल की जरूरत
साइकिल किसी जमाने में लोगों के लिए यातायात का साधन होती थी। आज बदलती जीवनशैली के चलते कोई भी साइकिल को यातायात के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहता। जबकि पर्यावरण स्वच्छता में इसका महत्वपूर्ण योगदान है। अपने शरीर को तंदुरुस्त रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कई शहरों में तो साइकिल चलाने वालों के लिए अलग से ट्रैक बने हैं। जरूरत है कि सरकार साइकिल चलाने वालों को प्रोत्साहन दे।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशनार्थ लेख इस ईमेल पर भेजें :- dtmagzine@tribunemail.com