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अस्मिता का प्रतीक
बाईस जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। यह हर भारतीय के लिए गौरव का क्षण है। राम के प्रति एक-एक व्यक्ति का भावनात्मक जुड़ाव है। पवित्र अयोध्या में निर्माण से एकाएक जो परिवर्तन हुआ है इससे अयोध्या का वैभव लौट आया है। यह मंदिर करोड़ों भक्तों व कार सेवकों के संघर्ष का परिणाम है। मंदिर निर्माण में शंकराचार्य रामभद्राचार्य का उल्लेखनीय योगदान रहा जो स्वयं कई बार श्रीराम जन्म के प्रमाण लेकर उच्च न्यायालय में उपस्थित हुए। यह एक मंदिर ही नहीं बल्कि भारत की अस्मिता, सभ्यता, आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक शक्ति की पहचान है।
सोहन लाल गौड़, बाहमनीवाला
सुलगते सवाल
भाकियू ने एक कर्ज़दार किसान के मकान की नीलामी के विरोध में सामूहिक प्रदर्शन करके नीलामी प्रक्रिया को नाकाम कर दिया। सवाल पैदा होता है कि किसान साथी का साथ देने के लिए यूनियन नेताओं ने विरोध प्रदर्शन की बजाय सामूहिक अंशदान के जरिए पैसा एकत्र करके उसका क़र्ज़ क्यों नहीं उतार दिया। उधर कार्पोरेट घरानों का अरबों का कर्ज़ बट्टे खाते में डाल देने वाले बैंक ग़रीब और असहाय लोगों को ऐसी रियायत क्यों नहीं देते। वक्त इन सवालों का बड़ी शिद्दत से जवाब मांग रहा है।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल
उम्मीद की किरण
‘पाक सियासत में हिंदू नारी से अपेक्षाएं’ संपादकीय पृष्ठ में यह पढ़कर खुशी हुई कि एक हिंदू लड़की को चुनाव में एक सीट पर लड़ने की अनुमति दी गई। यह पाकिस्तान में रह रही उन अल्पसंख्यक हिंदू लड़कियों के लिए एक उम्मीद की किरण है जहां जबरन धर्म परिवर्तन करा शादियां करवा दी जाती हैं। वे पाकिस्तानी पुरुषों की हिंसा व प्रभुत्व का शिकार होती हैं।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली