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संकट के संकेत
तेरह जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में अविजीत पाठक का लेख ‘संवेदनशील-विवेकशील पीढ़ी बनाने की जवाबदेही’ हमारे चारों तरफ बढ़ती निराशा, सांप्रदायिक संकीर्णता के मद्देनजर इसे रोकने के कर्तव्य को पूरा करने के लिए प्रेरित करने वाला था। आज हर कोई असहिष्णु होता जा रहा है। वहीं चैनल गांधी और टैगोर के विचारों के अनुरूप धर्मनिरपेक्षता तथा साहित्यिक समरसता को नकारते हुए दिखाई देते हैं। राजनीति स्थिति को सुधारने के बदले में वोटों की राजनीति करते हुए आग में घी डालने का काम कर रही है। नकारात्मकता हमारी सकारात्मकता को निगलती हुई दिखाई देती है। संयम, सहनशीलता, धर्मनिरपेक्षता, भाईचारा स्थापित करने का और कोई विकल्प नहीं।
शामलाल कौशल, रोहतक
स्थाई हो समाधान
पंद्रह जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘फिर जहरीली हवा’ ठंड और कोहरे के मद्देनजर दिल्ली तथा एनसीआर में दमघोटू प्रदूषण का वर्णन करने वाला था। वर्तमान स्थिति पराली जलाने के कारण नहीं बल्कि दिल्ली तथा एनसीआर की ऊंची-ऊंची बहुमंजिली इमारतों के कारण है जो हवा के प्रभाव को रोकती है। वहीं निर्माण कार्य, पेट्रोल तथा डीजल से चलने वाले अंतहीन वाहन से होने वाले प्रदूषण भी इसके कारण हैं। बेशक प्रदूषण से बचने के लिए सरकार ने एहतियाती कदम उठाये हैं। लेकिन समस्या के स्थायी निदान हेतु दूरगामी नीति बनानी चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
लाभदायक लक्षद्वीप
लक्षद्वीप ने पूरे भारतवर्ष के साथ-साथ समूचे विश्व के पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। यहां ऐसे अद्भुत पर्यटक स्थल हैं जिसके सामने मालदीव के पर्यटक स्थल फीके हैं। मोदी ने भी अपनी लक्षद्वीप यात्रा के दौरान 1200 करोड़ रुपये की विकास योजनाओं की घोषणा की जिससे पर्यटकों के साथ-साथ सैन्य सुविधा भी मिलेगी। इससे लोगों को कम खर्चे में भरपूर प्राकृतिक आनंद के साथ-साथ आधुनिक एडवेंचर का भी आनंद मिलेगा।
सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.
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