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कारगर विकल्प नहीं
पांच जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में डाॅ. सुखदेव सिंह का लेख ‘विदेशी विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के लिए नहीं रामबाण’ यूजीसी द्वारा उच्च शिक्षा के लिए भारत में विदेश विश्वविद्यालयों के केंद्र खोलने के विषय का विश्लेषण करने वाला था। विदेश में पढ़ने के इच्छुक विद्यार्थियों को विदेशी यूनिवर्सिटियां यहीं पर ही उच्च शिक्षा प्रदान करेंगी। इससे विदेशी मुद्रा तथा प्रतिभा पलायन पर अंकुश लगाने की उम्मीद की जा रही है। लेकिन यह इतना आसान नहीं है। भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों को न तो उतने वेतन मिलते हैं और न ही अनुकूल माहौल। इसलिए वे विदेश में ही जाना पसंद करेंगे। इन विदेशी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए जो पूंजी चाहिए वह उपलब्ध नहीं है।
शामलाल कौशल, रोहतक
मालदीव को सबक
मालदीव के मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए की गई अभद्र टिप्पणियों को सही नहीं ठहराया जा सकता। अब वहां की सरकार ने इन बयानों को खुद से अलग रखते हुए तीनों मंत्रियों को निलंबित करके मामले को ठंडा करने का प्रयास किया है। वहीं भारतीय पर्यटकों की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने बड़ी संख्या में मालदीव भ्रमण का कार्यक्रम निरस्त कर दिया। न सिर्फ निरस्त किया बल्कि गूगल व सोशल मीडिया पर सर्वाधिक लक्षद्वीप पर्यटन के बारे में जानकारी ली गई। अब भारतीय पर्यटकों के लक्षद्वीप पर्यटन से वहां की आय बढ़ेगी और देश का धन देश में ही खर्च होगा। इससे मालदीव को सबक मिलेगा।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.
शिक्षा बजट बढ़े
आठ जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में ‘आधुनिक तकनीक से समृद्ध हो शैक्षिक पाठ्यक्रम’ लेख शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन का सुझाव देने वाला था। इंटरनेट, चैटिंग, कृत्रिम मेधा काल में रोबोटिक युग की शुरुआत उन्नत देशों की शिक्षा प्रणाली में ये बातें आम हो गई हैं। लेकिन भारत में शिक्षा का वही पुराना ढर्रा देखने को मिलता है। शिक्षा प्रणाली में मूलभूत परिवर्तन करने के लिए शिक्षा बजट बढ़ाने की जरूरत है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
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