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गरीब के हक में हो
दो जनवरी के दैनिक ट्रिब्यून में देवेंद्र शर्मा का ‘तरक्की के आंकड़ों संग सुधरे देश की सेहत’ विषय पर चर्चा करने वाला था। दावा है कि तेजी से बढ़ती देश की अर्थव्यवस्था 2027 तक विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी। विदेशी मुद्रा भंडार से, सेंसेक्स में उछाल भी उत्साह वर्धक है लेकिन इसके बावजूद भी देश की आबादी का एक बड़ा भाग स्वास्थ्य, भोजन का खर्च उठाने में असमर्थ है। देश में 53 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया का शिकार हैं। विश्व में जितने लोग कुपोषण का शिकार हैं उससे लगभग आधा भारत में हैं। भारत की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम है। कृषि वर्ग में लोगों की आय कम है, बेकारी की समस्या है। इसका मुख्य कारण आर्थिक विकास की अमीरों के पक्ष में बनाई जाने वाली नीतियां हैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
अतार्किक विरोध
अडानी मामले में विपक्ष राजनीतिक वजह से सरकार पर आक्रामक रहा और उसने सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले को घसीटा! सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वह हमारी न्याय व्यवस्था का विश्वसनीय पहलू है। अब तो हर बात को सीधे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की एक परंपरा-सी बना ली गई है! इस मनोवृत्ति के चलते कई अन्य महत्वपूर्ण मामले पीछे रह जाते हैं। विपक्षी पार्टी संसद के अंदर सत्तापक्ष का सामना न करने की स्थिति में हर मामले को सड़क पर ले जाती है या कोर्ट में ले जाती है।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.
उम्मीदों का उजाला
भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। स्टॉक एक्सचेंज उछाल पर है, जो दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों में से एक है। हवाई अड्डों, पुलों और सड़कों तथा स्वच्छ ऊर्जा के बुनियादी ढांचे में सरकार का निवेश लगभग हर जगह दिखाई देता है। भारत का कुल उत्पादन, या सकल घरेलू उत्पाद, इस वर्ष 6 प्रतिशत से अधिक तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। नये और बेहतर बुनियादी ढांचे को अंततः अधिक निजी निवेश आकर्षित करना चाहिए।
तौकीर रहमान, मुंबई