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चीन के मंसूबे
चीन अपनी विस्तारवादी नीति के लिए कुख्यात है। यही कारण है कि उसका अनेक मुल्कों के साथ सीमा संबंधी विवाद है। अपनी प्रकृति के अनुरूप अब यह दो कदम आगे बढ़ते हुए गरीब एवं विकासशील देशों को अपने बीआरआई प्रोजेक्ट के माध्यम से शिकार बना रहा है। उसका वास्तविक उद्देश्य वैश्विक जगत में अपना प्रभुत्व स्थापित करना है। चीन के कर्ज देने और उसे अपने अधीन करने की नीति वैश्विक अर्थव्यवस्था में काफी जान जाती है। इस क्रम में पाकिस्तान, श्रीलंका और मालदीव चीन के बड़े कर्जदार हैं। हाल के वर्षों में श्रीलंका में उपजे आर्थिक संकट के लिए चीन के भारी-भरकम कर्ज को उत्तरदायी माना गया। चीन अब धीरे-धीरे यूरोप एवं अफ्रीका के गरीब देशों सहित भारत के पड़ोसी मुल्कों पाकिस्तान, नेपाल, बंगलादेश को भी अपने कर्ज के जाल में फंसा रहा है।
शिवेन्द्र यादव, कुशीनगर
आस्था और विश्वास
संपादकीय लेख ‘आस्था और विश्वास’ में इंगित किया गया है कि अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद सभी वर्गों के लोग आएंगे जिनका योगदान इसे मूर्तरूप देने में लगा है। इस तरह देश राम राज्य की कल्पना को साकार रूप देने जा रहा है, जिसमें सभी के लोक कल्याण की भावना निहित है। यह राजनीतिक केंद्रित विषय नहीं है बल्कि बहुसंख्यक वर्ग की आस्था का प्रतीक है। भक्तों की आस्था और विश्वास अयोध्या में रामभक्ति की गंगा बहा देगा।
भगवानदास छारिया, इंदौर
तटस्थता जरूरी
संविधान के मुताबिक हमारा देश धर्मनिरपेक्ष है जिसमें सरकार धर्म के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती। लेकिन जिस तरह सत्ताशीर्ष से जुड़े लोग अयोध्या में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं वह धर्मनिरपेक्षता के अनुरूप नहीं है। जल्दी ही देश में चुनाव होने वाले हैं। ऐसा लगता है कि संसदीय चुनावों के लिए जमीन तैयार की जा रही है। धर्म के आधार पर यह ध्रुवीकरण अनुचित है।
शामलाल कौशल, रोहतक
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