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दिल के जोखिम
अठारह दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘दिल के जोखिम’ अन्य देशों की तरह भारत में भी तेजी से हृदय आघात से मरने वालों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करने वाला था। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में हृदयाघात से जितने लोग मरते हैं, उनमें भारत का पांचवां नंबर है। कोरोना काल के बाद इस बीमारी से मृत्यु दर में तेजी से वृद्धि हुई है। खानपान में अनियमितता, व्यायाम ना करना, धूम्रपान, मद्यपान, तनाव आदि इस बीमारी में वृद्धि के कारण हैं। लोगों में दिल को संभालने की जागरूकता पैदा करनी चाहिए। योग करना चाहिए, खानपान का ध्यान रखना चाहिए, तनाव से बचना चाहिए। समय-समय पर दिल के डॉक्टर से चेकअप भी कराना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
संस्कृति से आर्थिकी
देवभूमि हि.प्र. की सभ्यता, संस्कृति, खानपान, रहन-सहन अभी भी दुनिया को अपनी ओर आकर्षित करता है। इन्हीं खूबियों का आनंद पाने के लिए देश-विदेश के लोग वर्षभर यहां आते रहते हैं। प्रदेश की इन्हीं खूबियों से अवगत कराने के लिए सरकार प्रयासरत भी रहती है। दूसरे राज्यों में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से प्रदेश के उन लोगों को मंच मिलेगा जो प्रदेश में रहकर स्वरोजगार कर रहे हैं, जैसे कि हथकरघा, शिल्प कला, हिमाचली पहनावे का काम करते हैं। इससे प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
समाज का आईना
सत्रह दिसंबर को अध्ययन कक्ष में छपी अपनी कहानी ‘किस्सा उस शहर का’ में प्रकाश मनु जी ने स्त्री और पुरुष के बीच समाज की विभाजित सोच को बहुत ही अन्तर्स्पर्शी शब्दों में उतारा है। ...आखिर वे भी हमारे जैसे हाड़-मांस की हैं, उनमें भी दिल है, दिमाग है-- पंक्ति ने अन्तर्मन को स्पर्श किया। कहानी समाज को आईना दिखाती सरल और प्रभावी लगी।
सुधीर वेदालंकार, यमुनानगर