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मानवाधिकारों की रक्षा
संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसंबर, 1950 को मानवाधिकार दिवस मनाने की शुरुआत की थी, इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को मानवाधिकारों के प्रति जागरूक करना था। इस वर्ष इस दिवस की थीम थी, सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय। आज दुनिया में बहुत से देश ऐसे भी हैं जहां के नागरिक स्वतंत्रता, समानता और न्याय के अधिकारों से वंचित हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि वहां लोकतंत्र मजबूत नहीं है। खासतौर पर महिलाओं, बच्चों और मजदूरों को इससे वंचित रखा जाता होगा। संयुक्त राष्ट्र को दुनिया में होने वाले युद्धों को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
काली कमाई
संपादकीय ‘काली कमाई के अंबार’ पढ़ने से चौंकाने वाले तथ्य मालूम हुए। कैसे राजनेता इतनी अकूत संपत्ति इकट्ठी कर लेते हैं। क्यों जांच और निगरानी एजेंसियां इतने समय तक खामोश रहती हैं। क्यों काली कमाई करने वालों पर शिकंजा नहीं कसा जाता? जबकि सामान्य जनता को तो अपनी कमाई का एक-एक पैसे का हिसाब देकर टैक्स भी चुकाना होता है। घटना बताती है कि देश की राजनीति दागियों की कमाई के लिये कामधेनु बन गई है। पिछले कई वर्षों में बेनामी संपत्ति के राजनेताओं, नौकरशाहों पर कई केस मिले हैं। सरकार को सख्ती दिखाकर इन सबसे टैक्स वसूल कर कार्रवाई करनी चाहिए।
भगवानदास छारिया, इंदौर
जीवन की सीख
तीन दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में तृप्ता के सिंह की पंजाबी कहानी ‘प्यार की छुअन’ सुभाष नीरव द्वारा अनूदित मनभावन रही। अपने बुजुर्गों की सेवा का फल मेवा के रूप में हासिल होता है, कहानी शिक्षा देने वाली रही।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल