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सख्ती जरूरी
तीन दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून लहरें अंक में डॉ. संजय वर्मा का ‘छलिया और छलने की दुनिया’ लेख इंटरनेट क्रांति के दुरुपयोग के प्रति सजग करने वाला रहा। मुखौटा परिवर्तन नयी छल शैली ने फिल्मी जगत और राजनीतिक क्षेत्र में तहलका मचाकर सबको हैरत में डाल दिया है। इस साइबर आपराधिक तकनीक का दुरुपयोग सामाजिक ढांचे पर प्रतिकूल असर डाल सकता है। सरकार को चाहिए इस डीपफेक तकनीक के प्रति सख्त कानून बनाकर इसे नियंत्रित करने का प्रयास करे।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
नेतृत्व का प्रश्न
केंद्र में प्रबल बहुमत से सत्ता हासिल करने के बाद से ही बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व बहुत सशक्त हो गया है। खबरें है कि राजस्थान में वसुंधरा के सुपुत्र विधायकों को रिसोर्ट में रोके हुए हैं। या मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह इमोशनल कार्ड खेल रहे हैं! मगर केंद्रीय नेतृत्व इन सबसे कतई दबाव में आने वाला नहीं। जनता भी अब अपने प्रदेशों में नए चेहरों और युवा नेतृत्व को देखना चाहती है। केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नये मुख्यमंत्री की घोषणा करने में कुछ अधिक समय लगाया जा रहा है।
सुभाष बुड़ावनवाला, रतलाम, म.प्र.
महंगाई की मार
दैनिक उपयोग में आने वाली घरेलू खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों से न केवल गरीब वर्ग बल्कि मध्यम वर्ग के परिवार भी त्रस्त हो रहे हैं। प्याज, टमाटर और दाल के दाम आसमान छू रहे हैं और सरकार सिर्फ आर्थिक और जीडीपी ग्रोथ की बात कर रही है। सालाना आधार पर दालों की कीमतों में 21 फीसदी का इजाफा हुआ है। शाकाहारी थाली की कीमत में इनका योगदान नौ प्रतिशत है।
मोहम्मद तौकीर, पश्चिमी चंपारण
कानून का राज
चंडीगढ़ में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी होनी चाहिये। रंजिश के चलते युवाओं की हत्या, महिलाओं से छेड़छाड़, गहनों की लूट और बुजुर्गों आदि से साइबर क्राइम जैसे मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस प्रशासन को आमजन को सुरक्षा प्रदान करने में मुस्तैदी दिखाने की जरूरत है। लोगों को सुरक्षित जीवन मुहैया कराने की शासन की जवाबदेही है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली