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अमर्यादित बयान
डीएमके के सैंथिल कुमार का विवादित,अमर्यादित, अनावश्यक और भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला वक्तव्य है जिसकी समाज के सभी वर्गों द्वारा कड़े शब्दों में निंदा की जानी चाहिए। किसी भी सांसद का यह अधिकार नहीं हो सकता कि किसी की भावना, पूजा पद्धति, आस्था और विश्वास पर अनावश्यक टिप्पणी करे। इस तरह के वक्तव्य सत्तापक्ष की तरफ से हों या विपक्ष की तरफ से, समाज में तनाव पैदा करते हैं। यह सुखद रहा कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और बीजेपी के नेताओं ने कड़े शब्दों में इसकी आलोचना की है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
गारंटी का सवाल
छह दिसंबर के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘जीत-हार के बीच कुछ अनुत्तरित प्रश्न’ तीन राज्यों में बीजेपी की जीत का विश्लेषण करने वाला था। इसमें कोई संदेह नहीं कि इन राज्यों में जीत के पीछे मोदी की गारंटी का जादू था। इन चुनावों में बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई आदि मुद्दों का विषय विपक्षी दल उठाने में नाकाम रहे। लगभग एक लाख स्कूलों में एक ही अध्यापक से काम चलाने, चिकित्सा सुविधाओं के अभाव, भारी संख्या में देश के लोगों का दूसरे देशों में चले जाना आदि मुद्दों को भी नहीं उठाया गया।
शामलाल कौशल, रोहतक
हार की रार
विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में कांग्रेस की हार हुई है। कांग्रेस हार के बाद हमेशा भाजपा को निशाना बनाती आई है। इस बार भी कांग्रेस ने हार का ठीकरा ईवीएम मशीन पर ही फोड़ा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की हार का कारण बताते हुए कहा कि मैंने बटन दबाया और न जाने मेरा वोट कहां चला गया? कांग्रेस में बौखलाहट बढ़ती जा रही है। कांग्रेस अपनी कमजोरियों को दूसरे पर डालने में माहिर है। बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए कांग्रेस जानी जाती है।
कांतिलाल मांडोत, सूरत