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दिखावे की संवेदना
तीस नवंबर के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘शहादत की कीमत और मुआवजों की प्रदर्शनी’ स्वार्थी तथा संवेदनहीन राजनेताओं द्वारा शहीद सैनिकों की मदद का दिखावा करने की निंदा करने वाला था। सहायता या सहानुभूति की प्रदर्शनी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह एक संवेदनशील मामला है। इसी तरह उड़ीसा विधानसभा में एक आदिवासी महिला के साथ यौन-दुर्व्यवहार किए जाने पर मंत्री जी का बयान शर्मनाक था। पता नहीं शहादत तथा महिलाओं के साथ दुष्कर्म पर दिखावे बाजी तथा राजनीति होनी कब बंद होगी।
शामलाल कौशल, रोहतक
भ्रामक भाषण
चुनाव से पहले नेताओं के बड़े-बड़े वादे और चापलूसी भरे भाषण सुनने को मिलते हैं। झूठे वादों की लहर और नेताओं के नफरत भरे भाषण निर्दोष लोगों को परेशान करते हैं, यहां तक कि कुछ नेता केवल वोट इकट्ठा करने और तुष्टीकरण की राजनीति के लिए चुनाव को धार्मिक रंग में रंगने की कोशिश करते हैं। वे महंगाई कम करने और दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुएं सस्ती दरों पर उपलब्ध कराने का वादा करते हैं लेकिन अगले चुनाव से पहले कभी दिखाई नहीं देते। जनता को समझदारी से ऐसे नेताओं को चुनना चाहिए।
तौकीर रहमानी, मुंबई
काहिली का तंत्र
सीवेज सिस्टम किसी नगर या कस्बे में वह अधोसंरचना होती है जिसके द्वारा अपजल और सड़कों व सतहों पर पड़ने वाला अन्य वर्षा इत्यादि का जल नालियों द्वारा हटाया जाता है। देश में थोड़ी-सी बारिश होने के बाद बड़े-बड़े शहरों में कुछ ही मिनट में पानी भर जाता है। मेट्रो शहर जिन्हें हम विकसित शहर मानते हैं, उन्हीं के हालात सबसे दुखद हैं। तमिलनाडु के थिरुवल्लुर जिला में हुई बारिश के बाद कई जगहों पर जल भराव था। अभी तो वर्षाऋतु भी नहीं है कि प्रशासन इसकी आड़ में छिप जाए। प्रभावी सीवेज सिस्टम बनाने की आवश्यकता है।
अर्पिता, पीयू, चंडीगढ़