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आत्मघाती कदम
‘आत्मघाती दबाव’ संपादकीय में विद्यार्थियों के बढ़ते हुए आत्मघाती कदम की ओर इशारा किया गया है। जो बताता है कि कोचिंग संस्थानों का पढ़ाई को लेकर विद्यार्थियों पर दबाव, अभिभावकों की अपने बच्चों से अपेक्षा, उनकी रुचि अनुसार पढ़ाई के बजाय अपनी इच्छाएं उन पर लादना, उनकी खुशियां छीन कर उन्हें आत्मघाती कदम की ओर बाध्य कर रहा है। अभिभावकों का कर्तव्य बनता है कि वे उन्हें उनकी मनपसंद पढ़ाई करने दें। किसी से भी तुलना नहीं करें। हर क्षेत्र में संभावना रहती है, ये बच्चों को बताएं। कोचिंग संस्थानों की भेड़चाल से बचें।
भगवानदास छारिया, इंदौर
संबल जरूरी
इक्कीस नवंबर के दैनिक ट्रिब्यून में अमिताभ स. का लेख ‘परीक्षा में संबल अभिभाभिकों की प्रेरणा का’ परीक्षा के दिनों में विद्यार्थियों को हौसला देने तथा मार्गदर्शन करने के लिए अभिभावकों की भूमिका का वर्णन करने वाला था। आमतौर पर देखा गया है कि जब परीक्षा नजदीक आती है तो बच्चों में घबराहट होने लगती है। ऐसी नाजुक स्थिति में अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करें। माता-पिता तथा अभिभावक उनको चिंतामुक्त करें। शिक्षक भी उनका मनोबल बढ़ाने के लिए भरसक प्रयत्न करें।
शामलाल कौशल, रोहतक
योग से खुशहाली
योग प्राचीन भारत के महान ऋषियों की ओर से मानव जाति को दिया गया अमूल्य उपहार है। आज, दुनिया भर के लाखों लोग सक्रिय रूप से योगाभ्यास कर रहे हैं और इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल कर चुके हैं। योग की दिनचर्या के वांछित परिणाम को प्राप्त करने के लिए एक अनुशासित और मूल्य-आधारित जीवनशैली को अपनाने की जरूरत है। योग हमारे समक्ष जीवन के स्वस्थ दृष्टिकोण को भी प्रस्तुत करता है। योग एक स्वस्थ, तनाव मुक्त जीवन, खुशी और संतोष से भरे जीवन का मार्ग खोलता है।
संदीप कौर, पीयू, चंडीगढ़