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गरीबी का दंश
बिहार जातिवार जनगणना के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार बिहार में गरीबी हद से ज्यादा है। यह बेहद शर्मिंदा करने वाले आंकड़े हैं। आजादी के सात दशक बाद भी देश की बहुत बड़ी आबादी को गरीबी से निकाल पाने में असमर्थ रहे हैं। नि:संदेह केंद्र-राज्य सरकार की नीतियां गरीबी उन्मूलन के अनुकूल नहीं बन पाई हैं या इनको प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है। गरीबी का दानव भारत की आबादी पर भारी पड़ा है। आखिर छह हजार कमाने वाली 40 फीसदी आबादी क्या अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकती है? क्या ये परिवार न्यूट्रीशन फूड लेने में समर्थ होंगे। गंभीरता को समझना होगा।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
आबादी का बोझ
आज बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी समस्या है जो दुनियाभर में देखा जा रहा है। इसके कारण अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जैसे आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा की कमी। सरकारें और समाज को इस मुद्दे को समझकर जनसंख्या नियंत्रण और गरीबी के समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और निर्माण क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए। जनसंख्या के प्रबंधन में जनसंख्या शिक्षा, गर्भनिरोधक उपाय और महिलाओं के अधिकारों का सम्मान महत्वपूर्ण हैं।
संदीप कौर, पीयू, चंडीगढ़
मुफ्त का अनाज
अगले पांच वर्षों के लिए मुफ्त खाद्यान्न योजना का विस्तार करने का केंद्र सरकार का कदम स्वागतयोग्य है। दूसरी ओर, जिस तरह से नवीनतम कदम को लागू करने की कोशिश की जा रही है, उससे कई सवाल उठते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि इसका उद्देश्य मतदाताओं को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ प्राप्त करना है। हालांकि, केंद्र और राज्यों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लीकेज को खत्म करना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि विस्तार का लाभ योग्य लोगों तक पहुंच सके।
मोहम्मद तौकीर, पश्चिमी चंपारण