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बदहाल पाक
दो नवंबर के दैनिक ट्रिब्यून में जी. पार्थसारथी का लेख ‘आर्थिक बदहाली में चुनाव की ओर पाक’ विषय पर चर्चा करने वाला था। इस समय पाकिस्तान बुरे दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता, आतंकवाद, महंगाई, खैरात पर निर्भरता, अनाज की कमी, अरब देशों के साथ बिगड़ते संबंध, इत्यादि बातें देखने को मिलती हैं। अगले साल पाकिस्तान में चुनाव होने वाले हैं। सवाल उठता है कि अगर पाक में चुनाव हो भी गए तो क्या नई निर्वाचित सरकार सेना की स्वीकृति हासिल कर सकेगी? अंदाज़ लगाना मुश्किल है कि नई सरकार बनने के बाद पाकिस्तान किस दिशा में जाएगा। निर्वाचित सरकारों को रौंद कर सेना की तानाशाही की बहुत सारी मिसालें याद हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक
आरक्षण की राजनीति
महाराष्ट्र फिर मराठा आरक्षण की आग में झुलसने लगा है। आंदोलनकारी 16 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग पर अड़े हैं। देश में केवल ‘मराठा आरक्षण’ ही नहीं बल्कि समय-समय पर अन्य समाज भी आरक्षण की मांग करता रहा है। राजनीतिक दल वोटों के स्वार्थ से प्रेरित होकर ‘आरक्षण’ की बढ़ती मांग को हवा देते हैं। बढ़ते सामाजिक मनमुटाव को दूर करने और सबके लिए समान अवसर प्रदान करने हेतु कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए।
शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर, म.प्र.
जानलेवा दुर्घटनाएं
देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है। अक्सर देखा गया है कि ज्यादातर दुर्घटनाएं लापरवाही से वाहन चलाने के कारण होती हैं। वाहन चालक जल्दी में यातायात संकेतों का पालन करने की परवाह नहीं करते हैं। आमतौर पर नशे में चालक व लापरवाह युवा ही इन घटनाओं की संख्या में वृद्धि करते हैं। दुर्घटना मे दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही उनका लाइसेंस भी जब्त कर लेना चाहिए।
सुमन शर्मा, पीयू, चंडीगढ़