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नौसैनिकों की चिंता
कतर जेल में बंद आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों को वहां की अदालत ने मौत की सज़ा सुनाई है। देश में एवं सोशल मीडिया पर आठ नौसैनिकों की सजा माफ करवाने के कूटनीतिक प्रयासों एवं अंतर्राष्ट्रीय अदालत में इस मामले को उठाने की मांग की जा रही है। भले ही कतर सरकार ने उन्हें जासूसी का दोषी बताकर मनमाने कानून से फांसी की सजा सुना दी हो, मगर इस सजा के मूल में कतर का कट्टरपन मुख्य वजह है। अंतर्राष्ट्रीय अदालत में यह मामला शीघ्र दाखिल करके इस सजा को रोकना होगा।
सुभाष बुड़ावन वाला, रतलाम, म.प्र.
स्तब्ध देश
अठाईस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘फैसले से स्तब्ध देश’ कतर की एक अदालत के द्वारा आठ पूर्व नौसैनिक अधिकारियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बारे में विवरण देने वाला था। असल में इसके पीछे कतर का हमास को समर्थन तथा भारत सरकार द्वारा इस्राइल को समर्थन देना है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने स्वतंत्र फलस्तीन की स्थापना की भी वकालत की। भारत जल्दबाजी में कोई कार्रवाई नहीं कर सकता क्योंकि भारत के नौ लाख व्यक्ति कतर में काम कर रहे हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक
सुखद बदलाव
वाल्मीकि जयंती के अवसर पर धर्म और जाति से परे हटकर किए गए आयोजन इस बात का प्रतीक हैं कि देश में विभिन्न जातियां एवं समुदाय द्वारा महापुरुषों का सम्मान-सत्कार मिलकर करने की एक नई परंपरा समृद्ध हो रही है। समाचारपत्रों की सुर्ख़ियों को देखकर सुखद स्थिति नजर आती है कि हम सभी भारतीय आपसी भाईचारा, सद्भाव, समभाव की अवधारणा अनुरूप समाज को तैयार कर रहे हैं। पहले वाल्मीकि जयंती को वाल्मीकि समाज द्वारा और रविदास जयंती को उनके अनुयायियों द्वारा ही मनाया जाता था। इसी परस्पर सहयोग, सद्भावना और सम्मान की भावना को विकसित करना है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली