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मदद का हाथ
इस्राइल-हमास के बीच हो रहे युद्ध में आम फलस्तीनी नागरिकों को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में भारत ने वहां युद्ध मे फंसे आम लोगों की मदद के लिए आगे हाथ बढ़ाया है। भारत ने फलस्तीनी नागरिकों के लिए मेडिकल और खाने-पीने की समान व अन्य सामग्री उपहार स्वरूप भेजा है। युद्ध की त्रासदी को देखते हुए भारत ने फलस्तीन के साथ मानवीयता का परिचय देते हुए यथासंभव तत्काल नागरिकों को सहायता पहुंचाने का फैसला किया। फलस्तीन को भेजी गयी यह मानवीय सहायता कई मायने मे महत्वपूर्ण है। अतीत में भारत और फलस्तीन के सम्बन्ध मजबूत बने रहे हैं।
डिम्पी चौधरी, पीयू, चंडीगढ़
अस्तित्व की जंग
एक बार फिर इस्राइल एवं फलस्तीन की जंग शुरू हो गई है। जब भी फलस्तीनी ताकतवर होते हैं वह हमेशा ही इस्राइल को अपने इलाके से भगाने का प्रयास करते हैं। इस्राइल के साथ यूरोपियन देश हमेशा मदद करने को तैयार रहते हैं यही कारण है कि इस्राइल चारों ओर से मुस्लिम देशों से घिरा होने के बावजूद अपने को अकेला महसूस नहीं करता है। आज सारा ही इस्राइल अपनी भूमि की रक्षा के लिए एक-दूसरे से हाथ से हाथ मिलाकर मजबूती से खड़ा है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि हम कभी किसी को छेड़ते नहीं हैं और अगर कोई हमें छेड़ता है तो फिर हम उसे छोड़ते नहीं।
मनमोहन राजावतराज, शाजापुर, म.प्र.
हृदयस्पर्शी अहसास
बाईस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में प्रकाश मनु की ‘हमारा वह कुनु’ कहानी दिल की गहराइयों को छूने वाली रही। कथा नायिका शुभांगी के एकाकी गृहस्थ जीवन में पिल्ला पारिवारिक सदस्य के रूप में सुख-शांति, खुशहाली का स्रोत बना। कुनु की अठखेलियां मानवीय संबंधों का सेतु बना। भीड़भाड़ व यातायात के जोखिमों को पार कर कुनु के गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचना परमसत्ता की शक्ति का अहसास दिलाता है। कुनु का अंत में मिट्टी में मिलने के अंतिम विदाई का कटु सत्य उजागर करने में कहानी कामयाब रही।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल