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भोजन की आकांक्षा
तेईस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून में लेख ‘विकास के दौर में भरपेट भोजन की आकांक्षा’ अर्थव्यवस्था के दावों का पर्दाफाश करने वाला था। विकास के दावों के बीच जो विषमताएं हैं, वे शर्मसार करने वाली हैं। जहां अरबपतियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है, वहीं आम लोगों की आमदनी में कमी हो रही है। भुखमरी, कुपोषण आदि चिंता है। बेरोजगारी और बढ़ती कीमतों के बीच जीवनयापन करना कठिन है। सरकार को इन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
भारत की क्षमता
प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के समक्ष 140 करोड़ भारतीयों की आशा एवं भावनाओं के अनुकूल प्रस्ताव रखा है कि 2036 ओलंपिक खेल भारत में कराए जाएं। हाल ही में संपन्न हुए एशियाई गेम्स में पदकों का शानदार शतक खेल जगत में भारत के बढ़ते दबदबे का परिचायक है। भारत ने 1951 एवं 1982 में एशियन गेम्स एवं 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों का सफल आयोजन किया है। अंतर्राष्ट्रीय बुद्ध सर्किट पर जीपी रेस का आयोजन, भुवनेश्वर में विश्व हॉकी कप और वर्तमान में विश्व क्रिकेट कप का आयोजन भारत की क्षमता का प्रतिबिंब है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली