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यक्ष प्रश्न
भारत में हर दस साल में एक बार जनगणना की जाती है। इससे सरकार को विकास योजनाएं बनाने और उन्हें लोगों को लाभ पहुंचाने में मदद मिलती है। वहीं दूसरी ओर, जातीय जनगणना के कई सवाल भी हैं। वे जातियां जो अब तक सामने नहीं आयी हैं, वो राजनीतिक दलों के सीधे निशाने पर आ जाएंगी। सभी दल सिर्फ़ उसी वोट बैंक को हासिल करने की होड़ में लग ज़ाएंगे। वहीं अगर किसी जाति को पता चला कि उन की तादाद कम है तो वो अपनी जनसंख्या बढ़ाने में लग जाएंगे। इस तरह सीधा असर परिवार नियोजन कार्यक्रम पर पड़ेगा, जनसंख्या नियंत्रण में सरकार को झटका लग सकता है।
सविता देवी, पीयू, चंडीगढ़
प्रतिभाओं का सम्मान
एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों की शानदार जीत को समर्पित संपादकीय लेख ‘पदकों का शतक’ में निश्चित रूप से बहुत अहम बिंदुओं को उठाया गया है। यह बात विचारणीय है कि स्पर्धाओं में पदक जीतकर लाने पर खिलाड़ियों को जो मान सम्मान मिलता है, बाद के दिनों में भुला सा दिया जाता है। लेख का एक और बिंदु, खिलाड़ियों का आर्थिक पक्ष, भी नीति नियंताओं की प्राथमिकता बनना चाहिए। खेल संघों से सियासी लोगों को दूर रखना और खेल प्रतिभाओं को तलाशने और तराशने की आवश्यकता पर बल देकर भी संपादकीय में समयोचित और चिर प्रतीक्षित मांग उठाई गई है।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल
लैंगिक समानता
अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस लड़कियों के सशक्तीकरण को बढ़ावा देने और लैंगिक समानता को सुदृढ़ करने के लिए हर साल 11 अक्तूबर को मनाया जाता है। यह आयोजन बालिकाओं के साथ हो रहे भेदभाव और असमानता के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रतिबद्ध होने का संकल्प है। अफसोस कि 21वीं सदी में भी लड़कियों के साथ भेदभाव जारी है। आज भी देश में लड़कियों के प्रति संकीर्ण सोच के चलते लोग उनके सपनों को पूरा करने में सहयोग नहीं करते हैं।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर