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फिलिस्तीन संकट
हमास ने इस्राइल पर बड़ा हमला करके उसके लगभग 700 लोगों को मार दिया है। जवाब में इस्राइल ने गाज़ापट्टी में रहने वाले फिलिस्तीनियों का नामोनिशान मिटाने का इरादा किया है। इस युद्ध को लेकर सारी दुनिया मुस्लिम तथा गैर मुस्लिम खेमों में बंटती नजर आ रही है। अमेरिका, नाटो देश इस्राइल का समर्थन कर रहे हैं जबकि ईरान समेत कई देश फिलिस्तीन की हिमायत करते दिख रहे हैं। यह युद्ध रूस-यूक्रेन युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। विश्व के देशों को इसे और बढ़ने से रोकना चाहिए। साथ ही फिलिस्तीन समस्या का कोई स्थाई हल ढूंढ़ना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
संवेदनहीन समाज
छतरपुर जिले के भगवां थाना क्षेत्र के पुत्रीखेरा गांव की महिला ने अपनी 12 वर्ष की बेटी की कुल्हाड़ी से गला काटकर हत्या कर दी। ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जहां बात-बात में गाजर, मूली की तरह हत्याएं नहीं की जा रही हैं। समझ में नहीं आता कि इंसान की इंसानियत, मानवता, ममता, संयम व धैर्य को क्या होता जा रहा है। दरअसल, यह आज के बदलते माहौल का असर है कि इंसान विवेक व बोधशून्य होता जा रहा है। वैचारिक बोध का होना इंसान की पहली शर्त है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो आदर्श परिवार व समाज की कल्पना दिवास्वप्न ही साबित होगी।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
खिलाड़ियों को संबल
नौ अक्तूबर के सम्पादकीय लेख ‘पदकों का शतक’ पढ़कर महसूस हुआ कि खिलाड़ियों के भविष्य के लिए वैश्विक स्पर्धा के स्तरानुसार नौकरियों का निर्धारण हो जाए तो पदकों का जुनून स्थायी हो जायेगा। देश में किक्रेट के अलावा शेष खेलों को आर्थिक सहायता व सम्मान नहीं मिलता है। नीति-निर्माताओं को सोचना चाहिए कि खेल प्रतिभाओं का आर्थिक पक्ष मजबूत हो। इसके लिए खिलाड़ियों की नौकरियां निर्धारित की जाएं।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
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