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स्वच्छता के संकल्प
देश में स्वच्छता लाने के प्रयासों की घोषणा के बाद अब देश के कई शहर स्वच्छ दिखने लगे हैं। उनमें अब स्वस्थ प्रतियोगिताएं इस बाबत होने लगी हैं और उनको मिलने वाले पुरस्कार उन्हें और अधिक स्वच्छता के लिए प्रयास करने को प्रेरित कर रहे हैं। ‘स्वच्छांजलि के संकल्प’ संपादकीय लेख में इस अोर इंगित किया गया है कि सिर्फ अपना घर ही नहीं बल्कि अपनी गली, कॉलोनी में भी सफाई रखें। सफाई कर्मियों की भी इज्जत करें और ये सफाई सिर्फ दिखावे की, फोटो खिंचवाने की या एक दिन मनाने की न होकर, लगातार होती रहे।
भगवानदास छारिया, इंदौर, म.प्र.
लोकतंत्र के प्रहरी
संपादकीय ‘धार पर वार’ में उल्लेख है कि हाल ही में न्यूजक्लिक पोर्टल के संपादक, पत्रकार और टीम के अन्य लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ द्वारा छापेमारी और गहन पूछताछ के बाद कुछ को रिहा किया। इससे मीडिया जगत में रोष है। इस कार्रवाई की विपक्ष भी आलोचना कर रहा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत मीडिया कोई सही तथ्य सामने लाता है तो इसे गलत कहना अनुचित है। कड़े प्रहारों से भयभीत होकर यदि सरकार के खिलाफ मीडिया लिखना बंद कर दे, तो लोकतंत्र कमजोर होगा।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
मानसिकता बदलें
तीस सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून का संवेदनशील संपादकीय ‘बेखौफ बर्बरता’ देश में तेजी से बढ़ती बलात्कार की वारदातों पर चिंता व्यक्त करने वाला था। ऐसे मामलों को रोकने के लिए सरकार, समाज, प्रशासन तथा पुलिस की जवाबदेही तथा त्वरित कार्रवाई के साथ पुरुष मानसिकता में परिवर्तन की भी जरूरत है।
शामलाल कौशल, रोहतक