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अपरिपक्व नेतृत्व
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो का रवैया भारत के प्रति कभी भी दोस्ताना नहीं रहा। वे समय-समय पर अपनी कार्यप्रणाली से जताते रहे हैं कि उन्हें भारत की सम्प्रभुता के मान-सम्मान में कोई रुचि नहीं है। कनाडा की धरती पर कई वर्षों से पनप रहे खालिस्तानी आंदोलनों की तरफ कई बार ध्यान दिलाये जाने के बावजूद उन्होंने उसे कभी भी गंभीरता से नहीं लिया और उसे अभिव्यक्ति की आज़ादी का नाम दे दिया। जी-20 की बैठक में भी जस्टिन ट्रुडो अपनी बॉडी लैंग्वेज से ये बता चुके हैं कि वे भारत के आरोपों को गंभीरता से नहीं लेते।
चंद्र प्रकाश शर्मा, दिल्ली
महिलाओं का हक
नये संसद भवन में मोदी सरकार ने विशेष सत्र बुलाकर महिला आरक्षण विधेयक के जरिये महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने की बात कही है। निश्चय ही इसके कई सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार होगा और महिलाएं सशक्त बनेंगी। वहीं लोकसभा में महिलाओं की सीटें 78 से बढ़कर 181 हो जाएंगी। फिलहाल इस बिल के सामने कई चुनौतियां हैं। कुल मिलाकर यह बिल महिलाओं के राजनीतिक अधिकारों को सुरक्षित करेगा।
डिम्पी चौधरी, चंडीगढ़
तरक्की की राह
साल 2001 में 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाए जाने की घोषणा हुई थी। इस दिन सफेद कबूतरों को उड़ाकर शांति का पैगाम भी बहुत से देशों द्वारा दिया जाता है। इस वर्ष इस दिवस की थीम है, शांति के लिए कार्रवाई, वैश्विक लक्ष्यों के लिए हमारी महत्वाकांक्षा है। कोई भी देश बिना शांति के विकास नहीं कर सकता है। जहां शांति होगी वहीं तरक्की की राहें खुलेंगी।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर