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जलवायु परिवर्तन की मार
नौ सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून में पंकज चतुर्वेदी का लेख ‘जलवायु परिवर्तन की मार से अछूते नहीं रहे पंछी’ पढ़ा। मानवीय हस्तक्षेप से पक्षियों की अनेक प्रजातियों पर संकट छाया हुआ है। अधिक फ़सल के लालच में खेतों में डाले गए कीटनाशकों से पक्षियों के प्रजनन और पर्यावास पर असर पड़ा है। बदलते मौसम के कारण प्रवासी पक्षियों की संख्या में साल-दर-साल लगातार कमी आ रही है। पक्षियों की संख्या घटना जैव विविधता पर बड़ा कुठाराघात है। भारत में कुल 3708 प्रजातियों में से 347 ख़तरे में हैं। समझना होगा कि जब तक पक्षी हैं तब तक यह पृथ्वी इंसानों के रहने लायक है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
ममता का अहसास
तीन सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून अध्ययन कक्ष अंक में लघु कथा ‘दूसरा चेहरा’ -सुकेश साहनी व ‘नौकरी’- अशोक भाटिया दिल की गहराइयों को छूने वाली रहीं। मिक्की द्वारा लाए पिल्ले के प्रति अम्मा का आक्रोश ठिठुरते पिल्ले को रजाई से ढांपना ममता, करुणा से कथा का अंतःपक्ष मजबूत रहा। ‘नौकरी’ मां का धैर्य-त्याग बाह्य पक्ष का साक्षात्कार रहा।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल