आपकी राय
मर्यादा ध्यान रहे
तमिलनाडु में राज्य के कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर जो टिप्पणी की है वह निंदनीय है। वहीं कांग्रेस और डीएमके का रुख इस बयान पर अस्पष्ट है। इंडिया गठबंधन के घटक को इसकी आलोचना करनी चाहिए। वोट बैंक की खातिर चुप रहना, हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं पर प्रहार है। इससे उनकी भावनाएं आहत हुई हैं। नेताआें को अपनी मर्यादा का ध्यान रखना होगा।
भगवानदास छारिया, इंदौर
मनमानी कीमतें
तीन सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून लहरें अंक में आलोक पुराणिक के ‘कई परत वाले प्याज और टमाटर के मसले’ लेख में महंगाई और गृहिणी की अंतरव्यथा का वर्णन रहा। आकाश को छूने वाली महंगाई ने आमजन को त्रस्त किया है। नमक और प्याज का स्वाद ग्रामीण खाद्य संस्कृति की पहचान रहा है। लेकिन व्यापारी वस्तु की एमआरपी से कहीं अधिक कीमत वसूलते हैं। गरीबों को न्याय मिले।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
अनावश्यक विवाद
छह सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित एक खबर ‘जी20 रात्रिभोज निमंत्रण पर लिखा... प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ अनावश्यक विवाद पैदा करने वाला था। भाजपा में बौखलाहट देखने को मिलती है। जब देश को सारी दुनिया इंडिया के तौर पर जानती है तो इंडिया शब्द से चिढ़ क्यों है? सत्तापक्ष का मानना है कि इंडिया गुलामी का चिन्ह है। इससे छुटकारा पाना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक
टाला जाए
जी-20 शिखर सम्मेलन के रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखकर एक ऐसी अनावश्यक बहस को निमंत्रण दे दिया गया है जिसे टाला जाना ही श्रेयस्कर था। इंडिया की जगह भारत लिखना-बोलना हमेशा गर्व का विषय रहा है। लेकिन जबसे विपक्षी गठबंधन ने अपने समूह को इंडिया नाम दिया है, तबसे ऐसा लगता है कि इंडिया शब्द से भाजपा को अपच होने लगी है।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल