आपकी राय
सांझ का सहारा
चार सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून में क्षमा शर्मा का ‘गांठ का धन ही सहेजेगा आपका बुढ़ापा’ लेख चर्चा करने वाला था। वर्तमान समय में संतानें अपने बूढ़े माता-पिता से दूर भागते हैं। ऐसे में बुढ़ापे का समय नारकीय बन जाता है। जरूरी है कि भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए समय पर निवेश करना चाहिए। ताकि बुढ़ापे में कुछ आमदनी प्राप्त हो। यह बात सही है कि इसमें कोई गारंटी नहीं है कि बेटे बुढ़ापे में हमेशा मददगार होंगे। बुढ़ापे को सुरक्षित बनाने के लिए पहले ही योजना बनानी चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
चीन की चालाकी
चीन ने अपने मानचित्र पर अरुणाचल प्रदेश को अपने हिस्से में दिखाया है। चीन की बातों में हर तरफ चालाकी नजर आती है। ब्रिक्स सम्मेलन में पहले राष्ट्रपति शी और भारत के प्रधानमंत्री मोदीजी को वार्ता के लिए तैयार किया और फिर मुकर गया। भला हो विदेश मंत्री जयशंकर का, जो उन्होंने चीन को दोटूक जवाब दे दिया कि बाज आओ अपनी हरकतों से। समय आ गया है कि चीन को उसी की भाषा में जवाब दिया जाये।
भगवानदास छारिया, इंदौर