आपकी राय
वैज्ञानिक चिंतन
सात अगस्त के दैनिक ट्रिब्यून के आस्था अंक में डॉ. प्रेमलता मिश्र का लेख ‘पर्व-त्योहारों में भी समाहित वैज्ञानिक चिन्तन’ में भारतीय दर्शन संसार में अपनी विशिष्टता को उजागर करता है। भारतीय संस्कृति में पर्व- त्योहार ऋतुओं के परिवर्तन के समय होते हैं। पर्यावरण एवं प्रकृति पर विशेष रूप से आधारित है। भारतीय संस्कृति में पर्यावरण, प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, बीमारियों और भुखमरी का उल्लेख है। लेकिन पश्चिमी देशों ने प्राचीन भारतीय चिंतन में विज्ञान और वैज्ञानिकता से भारतीयों का परिचय इनके अनुरूप नहीं माना है। जबकि भारत सदा से व्यावहारिक, जनहितकारी, वैज्ञानिक और तार्किक सोच तथा शोध में रहा है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
राहत के सबक
संपादकीय ‘राहुल को राहत’ में उल्लेख है कि सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले पर रोक लगाते हुए राहुल गांधी को राहत दी है, क्योंकि फैसलों में अधिकतम सजा का कारण अस्पष्ट था। यद्यपि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को भाषणों में मर्यादित शब्दों का उपयोग करना चाहिए। इससे स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के साथ सभी राजनीतिक दलों को अप्रत्यक्ष रूप से यह निर्देश दे दिए हैं कि सभी दल सार्वजनिक जीवन में मर्यादित शब्दों का उपयोग करें, क्योंकि नेताओं का अनुसरण जनता करती है।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
विसंगतियों की परीक्षा
हरियाणा में एचएसएससी द्वारा गत दिनों आयोजित ग्रुप-सी की भर्तियों के लिये ग्रुप 56 एवं 57 की परीक्षा में भारी गड़बड़ी देखने को मिली है। दो दिन हुए पेपर में लगभग तमाम प्रश्न रिपीट कर दिए गए। जबकि हिंदी भाषा और अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों में काफी तथ्यात्मक त्रुटियां देखी गयी हैं। सरकार लगातार पारदर्शी भर्ती का दावा करती रही है। अब सवाल यह उठता है कि इस सब का जिम्मेदार कौन है। तैयारी करने वाले युवा आखिर कब तक परेशान होते रहेंगे। हर बार पेपर कैंसिल हो जाने से युवा मानसिक अवसाद का शिकार हो रहा है।
सुनील सहारण, फतेहाबाद