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07:48 AM Aug 02, 2023 IST

पर्यावरण के संकट

उन्तीस जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में गुरबचन जगत का लेख ‘पर्यावरण की परवाह न करने का नतीजा है संकट’ बेमौसम बरसात, बाढ़ आदि को लेकर होने वाले विनाश तथा भविष्य में खाद्य सुरक्षा तथा भुखमरी के संकट से आगाह करने वाला था। पंजाब तथा देश के अन्य भागों में बाढ़ की रोकथाम के लिए पहले से प्रबंध न किए जाने का परिणाम है। लेखक ने पर्यावरण का संरक्षण न करने के लिए उसके गंभीर नतीजे बताये हैं। इन सब बातों के पीछे ग्लोबल वार्मिंग है। अधिक ऊर्जा प्रयोग करने के कारण कार्बन उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है। इसका समाधान सभी देशों को मिलकर करना होगा। कार्बन उत्सर्जन से जो खतरा पैदा हो रहा है, उसे रोकना जरूरी है।
शामलाल कौशल, रोहतक

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सुनहरा अवसर

सेमीकंडक्टर के निर्माण में सरकार द्वारा 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता की घोषणा के निश्चय ही सकारात्मक परिणाम निकलेंगे। भारत सेमीकंडक्टर के मामले में चीन और ताइवान पर निर्भर है। चीन से चल रही तनातनी एवं चीन-ताइवान के विवाद को देखते हुए सेमीकंडक्टर निर्माता देश का विकल्प बेहद जरूरी है। इसके लिए भारत एक विश्वसनीय विकल्प हो सकता है। देश में ही इसके निर्माण से विदेशी निर्भरता में कमी, विदेशी मुद्रा की बचत एवं रोजगार के अवसर का सृजन होगा।
विमलेश पगारिया, बदनावर, धार, म.प्र.

बाढ़ के दुष्प्रभाव

दिल्ली में बाढ़ के कारण लोगों के लिए डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया एवं आई फ्लू कैसी संक्रामक बीमारी के कारण बड़ा संकट खड़ा हो गया है। दिल्ली के सभी अस्पतालों में डेंगू वार्ड और स्कूलों में पाठ्यक्रम की पहल एक सराहनीय कदम है। जलभराव एवं जल-निकासी पर मुस्तैदी से काम करना होगा। नालियों में मच्छर न पनपे, इसका पुख्ता इंतजाम करना होगा।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

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