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भटकाव की राह
सत्ताईस जुलाई का ‘सरहद पार प्यार’ संपादकीय ट्रिब्यून ने सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों पर जो टिप्पणी की है वह आज के हालात में प्रासंगिक है। सीमा हैदर सचिन के बाद अंजू नसरुल्लाह का प्रेम जिस तरह परवान चढ़ा है वह शादीशुदा लड़कियों के लिए न केवल अनैतिक है बल्कि इसे चरित्रहीनता की श्रेणी में लेना भी गलत नहीं होगा। समाज में आज जितनी विकृतियां पैदा हो रही हैं उनमें से अधिकांश में सोशल मीडिया की प्रेरणा अहम है। मोबाइल से जितनी सुविधा मिली है, सोशल मीडिया ने उतना ही लड़के-लड़कियों को भटका दिया है।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.
शहीदों का ऋण
छब्बीस जुलाई के दैनिक ट्रिब्यून में प्रेम कुमार धूमल का ‘कारगिल के शहीदों का ऋणी है देश’ लेख पढ़कर जांबाज कारगिल शहीदों की याद में आंखें नम हो गयीं। दिल में सहानुभूति का सागर उमड़ रहा था। शहीद के 82 वर्षीय पिता खजान सिंह का कथ्य ‘यदि फिर भारत-पाकिस्तान युद्ध में सैनिकों की कमी पड़ जाए तो मैं आज भी लड़ने के लिए तैयार हूं।’ लेख प्रेरक एवं प्रभावशाली था।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल