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08:50 AM Jul 12, 2023 IST

हिंसा की राजनीति
पश्चिमी बंगाल के पंचायत चुनाव हिंसा में कई निर्दोष लोग मारे गए। कई बूथों पर फिर से मतदान करवाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के केंद्रीय बल नहीं लगाने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। हिंसा होने का कारण यही है कि राज्य चुनाव आयोग ने केंद्रीय बलों की संवेदनशील क्षेत्रों में नियुक्ति नहीं की। जाहिर है कि वह भी सत्तापक्ष के दबाव में ही काम कर रहा था। भविष्य में होने वाले लोकसभा चुनावों में भी इससे भी बड़े पैमाने पर हिंसा की आशंका व्यक्त की जा रही है, जिसमें हमलावरों को सत्तारूढ़ दल का आश्रय प्राप्त होना सबसे बड़ी वजह होगी। निश्चय ही घटनाक्रम पंचायत चुनाव परिणामों को संदेह के घेरे में लाता है।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.

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लोक संस्कृति का संवर्द्धन
दैनिक ट्रिब्यून के नौ जुलाई के रविवारीय अंक राग-रागनी में सत्यवीर नाहड़िया ने भारतीय पंचांग अनुसार साढ़-आसौज, सावण-भादों महीनों की विशेषताओं को सुन्दर ढंग से हरियाणवी संस्कृति में पिरोया है। सावण का महीना हरियाणवी संस्कृति एवं लोकगीतों का पर्याय माना जाता है। सावण के महीने की छटा लोक सूर्य कवि पंडित लखमीचंद की इस रागनी में निराली है, चौगरदे तै बाग हरा घन-घोर सामण की, छोरी गावे गीत सुरीलै पींग घली सामण की। राग-रागनी के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति एवं लोकगीतों का संवर्धन हो रहा है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़

दयनीय स्थिति
पाकिस्तान में धर्मांतरण की बढ़ती घटनाओं के कारण अल्पसंख्यक हिन्दू पलायन के लिए मजबूर हैं। सरकार और पुलिस धर्मांतरण पर चुप्पी साधे हुए हैं। पाक में हिन्दुओं की हालत दयनीय होती जा रही है। सिंध प्रांत से सामूहिक पलायन हो रहा है। हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। आवश्यकता इस बात की है कि पाक में अल्पसंख्यकों की दयनीय स्थिति को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाया जाये।
कांतिलाल मांडोत, सूरत

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