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जल संकट की आहट
अट्ठारह अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में ज्ञानेंद्र रावत का लेख ‘प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण ही समाधान’ पढ़ने से ज्ञात हुआ कि निकट भविष्य में चौदह प्रतिशत जनसंख्या के लिए जल संकट बहुत बड़ी समस्या बन जायेगा। यूनीसेफ की रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत में मौजूद जल भंडारण का 40 प्रतिशत हिस्सा समाप्त हो चुका होगा। प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रति सरकार और सामाजिक संस्थाओं को ध्यान देना होगा। वर्षा जल संचयन-संरक्षण, प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण, उनका समुचित उपयोग और जल की बर्बादी पर अंकुश ही रास्ता है। अतः वर्षा जल संचयन-संरक्षण करना और परियोजनाएं बनाना अति आवश्यक है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
लैंगिक न्याय जरूरी
केजरीवाल के आवास पर राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट की सत्यता का पता लगाना बहुत जरूरी है। महिलाओं के साथ कथित मारपीट और दुर्व्यवहार के मामले विवादित और लंबित होते रहना उचित नहीं है। संपादकीय ‘मालीवाल के सवाल’ में भी उल्लेख है कि सांसद रेवन्ना और ब्रजभूषण सिंह के मामलों में जो कुछ हुआ, स्थिति अस्पष्ट रही। ऐसा न हो कि यह मामला भी इसी का शिकार हो जाए। बिभव की गिरफ्तारी हुई है, किंतु आप पार्टी के नेता कुछ नेता पक्ष में, तो कुछ विरोध में भी हैं। केजरीवाल को भी नैतिकता के नाते इसमें अपना बयान देना ही चाहिए।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
मतदाता की उदासीनता
लोकसभा के पांचवें चरण में महाराष्ट्र में मतदान का प्रतिशत कुछ कम रहा। निर्वाचन आयोग के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए। क्या कारण रहे हैं जिनकी वजह से मतदाता अपने घर से बाहर निकल नहीं पाये। महाराष्ट्र एक प्रगतिशील राज्य है जहां फिल्मी सितारों ने भी मतदान किया है बावजूद इसके यदि मतदान 50 प्रतिशत से कम रहा तो यह राजनीतिक पार्टियों के प्रति मतदाताओं की बेरुखी को भी दर्शाता है।
वीरेन्द्र कुमार जाटव, दिल्ली
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