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आपकी राय

08:51 AM Sep 18, 2024 IST
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हिंदी की स्वीकार्यता

चौदह सितंबर के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. संजय वर्मा के लेख ‘भाषाई मुकाबले में हिन्दी की क्षमता पहचानिए’ में यह स्पष्ट किया गया है कि हिन्दी सिनेमा और डिजिटल मंचों पर हिन्दी की उपस्थिति और प्रभाव स्वाभाविक रूप से बढ़ता जा रहा है। हालांकि, भारत में हिन्दी को राष्ट्रभाषा का व्यावहारिक दर्जा नहीं मिलने से चिंता है। सरकारी और निजी नौकरियों में अंग्रेजी को प्राथमिकता दी जाती है, जबकि हिन्दी, जो देश के बड़े हिस्से में बोली जाती है, उसे दोयम दर्जा दिया जाता है। हिन्दी को संविधान में राजभाषा का दर्जा प्राप्त है और देवनागरी लिपि को स्वीकार किया गया है, लेकिन सरकारी दफ्तरों और न्यायालयों में अंग्रेजी का बोलबाला है। अब समय है कि हम भाषाई मुद्दों को भुलाकर हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार करें।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी

प्याज के दाम

देश के कई राज्यों में प्याज की कीमतें 50 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुंच गई हैं। हालांकि कुछ राज्यों में सरकारें सस्ते प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने की कोशिश कर रही हैं। यह समस्या केवल प्याज तक सीमित नहीं है; कभी प्याज तो कभी अन्य सब्जियों के दाम आसमान छू जाते हैं। कृषि प्रधान देश में प्याज की बढ़ती कीमत और किसानों की दयनीय दशा शर्मनाक और निंदनीय है। प्याज के बढ़ते दाम के लिए कालाबाजारी, मुनाफाखोरी, जमाखोरी, बिगड़ता मौसम, और सरकारी लापरवाही जिम्मेदार हैं। कुदरत के कहर से फसलों को बचाने के लिए गंभीरता से कदम उठाने होंगे, और सरकारी नीतियों में सुधार जरूरी है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर

बदलाव के निष्कर्ष

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के सीएम पद से इस्तीफे के बाद कैबिनेट मंत्री आतिशी ने नई सरकार गठित करने को दावा पेश किया। आप विधायक दल की बैठक में केजरीवाल के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री पद के लिए आतिशी के नाम पर सहमति बनी। बेशक यह राजनीतिक दांव हो और विपक्ष सवाल उठाए लेकिन अब दिल्ली को पूर्णकालिक मुख्यमंत्री मिलने से रुके हुए काम तेज गति से होंगे। हालांकि, 5 महीने की अवधि नाकाफी हो सकती है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
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