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सेहत की फिक्र
शैक्षणिक संस्थानों में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों की बिक्री पर यूजीसी द्वारा लगाई गई रोक स्वागतयोग्य है। पोषण पर राष्ट्रीय थिंक टैंक, ‘नापी’ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रत्येक चार में से एक व्यक्ति मोटापे या मधुमेह का शिकार है। इस आंकड़े को देखते हुए यूजीसी द्वारा लगाई गई ताजा रोक समयोचित एवं व्यावहारिक है। इस विषय में दूसरे संस्थानों को भी अनुसरण करना चाहिए। देखने में आया है कि नामचीन पांच सितारा अस्पतालों की कैंटीनें पिकनिक स्पॉट जैसी होती हैं। लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा के जिम्मेदार ऐसे संस्थानों में तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध होना ही चाहिए। इस कड़ी में रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे, विधानसभा भवन परिसर और संसद भवन आदि को भी शामिल करके जन स्वास्थ्य के प्रति सरकारी सरोकार को साकार होते देखा जा सकेगा।
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल
जीवंतता के प्रतीक
चौदह जुदाई के दैनिक ट्रिब्यून में मेजर जरनल अरविंद यादव का ‘मेहमान परिंदे चहचहाहट से फिजा में रौनक’ लेख ज्ञानवर्धक व शिक्षाप्रद रहा। स्वदेशी हो या विदेशी परिंदों की मधुर चहचहाहट मानवता कल्याण के लिए है। हमें इंटरनेट के टॉवरों की तरंगों से भिन्न पक्षियों की लुप्त होती प्रजातियों की सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए। साथ ही विदेशी पक्षियों की सौगात धरोहर के रूप में सुरक्षित रह सके। पक्षियों की आबादी में परिवर्तन हमें जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, सूखा, और मौसम के प्रभावों के बारे बहुत कुछ बता सकता है। इनका होना जीवंतता का संकेत है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
न्यायसंगत हो आयकर
हर वर्ष आम बजट से आम जनता को महंगाई से राहत, टैक्स में छूट और जीवन के मूलभूत जरूरत की पूर्ति शामिल होती है। मध्यम वर्ग को बजट में कोई महत्व नहीं दिया जाता है। इनकम टैक्स में कृषि को पूरी तरह छूट दी गई है जबकि आम आदमी को 7 लाख तक की छूट है। कृषि में भी 10 लाख से अधिक की कमाई वालों पर आयकर लगाया जाना चाहिए। क्योंकि कृषि आय के नाम पर कई लोग करोड़ों रुपये की टैक्स देनदारी से बच जाते हैं।
विभूति बुपक्या, खाचरोद, म.प्र.