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सक्रिय हो जीवन
तीस जून के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘आलसी पीढ़ी’ आर्थिक विकास के फलस्वरूप मिलने वाली सुख-सुविधाओं के कारण भारतीय लोगों की शारीरिक निष्क्रियता तथा कई बीमारियां लगने की तरफ ध्यान खींचने वाला था। यही कारण है कि भारत शुगर तथा दिल की बीमारियों की राजधानी बनता जा रहा है। किसान लोग पहले शारीरिक श्रम करते थे लेकिन आजकल नयी तकनीक आने के कारण उन्हें कम श्रम करना पड़ता है। रोजगार की तलाश में उनके बच्चे शहरों में आ रहे हैं जिससे उन्हें शारीरिक निष्क्रियता के कारण कई बीमारियां घेर रही हैं। तंदुरुस्ती के लिए शारीरिक श्रम को ही अधिक महत्व देना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
रोक लगे
जनता का सीधा सवाल सरकार से है कि जो कानून आम आदमी पर लागू होता है, वह नेताओं पर क्यों नहीं? नेताओं का अपराध साबित होने के बाद भी उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत क्यों? एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की रिपोर्ट के अनुसार 18वीं लोकसभा के लिए जो 543 सांसदों में से 251 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 27 सांसदों को अलग-अलग अदालतों द्वारा दोषी करार दिया जा चुका है। वर्ष 2009 से 2024 तक गंभीर, अापराधिक मामले वाले सांसदों की संख्या तेजी से बढ़ गई। सरकार को चाहिए कि आपराधिक छवि वाले राजनेताओं को चुनाव लड़ना अवैध घोषित किया जाये।
संगीत, जीजेयू, हिसार
बचपन बचाओ
संपादकीय ‘बाल श्रम का संकट’ में उल्लेख है कि फैक्टरी मालिक व भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से ही बच्चों का शोषण हो रहा है। विश्व में 16 करोड़ से अधिक बाल श्रमिकों में 11 प्रतिशत बच्चे भारत में हैं। यह चिंता का विषय है। बाल श्रमिकों के शोषण पर नकेल कसना जरूरी है, क्योंकि देश का भविष्य भी बच्चों में परिलक्षित होता है।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन
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