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नशे की दलदल में युवा पीढ़ी

12:27 PM Nov 01, 2021 IST
नशे की दलदल में युवा पीढ़ी
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जन संसद की राय है कि निस्संदेह देश के युवाओं को चपेट में लेता नशा आसन्न खतरे की चेतावनी है जो सिर्फ कानून से दूर की जाने वाली समस्या नहीं है। अभिभावकों व शिक्षकों को सतर्कता से जिम्मेदारी निभानी होगी और समाज में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए।

जागरूकता जरूरी

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आज का युवा समाज, मित्र-संगत और चलचित्र अभिनेताओं के अभिनय को देखकर प्रभावित होकर नशा सीख रहा है। इसके अतिरिक्त बेरोजगारी, अवसाद, घरेलू कलह, गरीबी, असफलता, अशिक्षा, जागरूकता की कमी भी इसके कारण हैं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए जागरूकता और शिक्षा सबसे बड़ा और सबसे उपयोगी शस्त्र सिद्ध हो सकता है। नशे की दलदल में फंसने वाले युवाओं को नशे के दुष्परिणामों का ज्ञान ही नहीं होता है। आरम्भ में वे नशे का सेवन मौज-मस्ती के लिए करते हैं लेकिन ड्रग्स का नशा तो ऐसा है जिसे यदि एक बार ले लिया जाए तो छोड़ना असंभव हो जाता है।

अशोक कुमार वर्मा, करनाल

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गहराती दलदल

पिछले वर्ष एक मशहूर सिनेमा हस्ती की मौत ने नशे की अंधेरी दुनिया में हलचल मचा दी थी। परतें खुलती घटनाओं से यह साफ़ है कि आज की पीढ़ी नशे की अथाह दलदल में डूबी है। आधुनिकता और पश्चिमी रहन-सहन से प्रभावित कम उम्र के युवा आसानी से नशे के शिकार बनाये जा रहे हैं। इसके लिए सिनेमा जगत भी कम दोषी नहीं है। युवाओं को इस दलदल में धकेलने में राजनीतिक संरक्षण प्राप्त नशा कारोबारियों की रहस्यमयी दुनिया का बड़ा हाथ है। वक्त रहते दुनिया भर में फैले इस नेटवर्क को तोड़ना होगा वरना अगली पीढ़ी नशेड़ियों की धरोहर बन जायेगी।

एमके मिश्रा, रांची, झारखंड

रचनात्मकता बढ़ाएं

वास्तव में नयी पीढ़ी में लुप्त होते मूल्य एवं पश्चिमी अपसंस्कृति का अंधानुकरण ही इसका मूल कारण है। मौजूदा हालात में नशीले एवं मादक पदार्थों के उत्पादन, प्रयोग, जमाखोरी, बरामदगी, तस्करी, खरीद-फरोख्त पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए। इसके साथ सख्त कानून जरूरी है। जब तक युवा नशे से दूर रहकर अपने ध्यान एवं सृजनात्मक शक्तियों से सकारात्मक एवं रचनात्मक कार्यों का निष्पादन नहीं करेगा तब तक न तो स्वस्थ जीवन मूल्यों की उन्नत खेती हो सकती है और न ही नशे की रोकथाम।

सतपाल मलिक, सींक, पानीपत

अभियान चले

फिल्मी हस्तियों में बढ़ता हुआ नशे का प्रचलन दुखदाई है। युवा उन्हें ही अपना गॉडफादर मानते हैं। आज ड्रग्स और शराब के प्रति एक नई सोच ने जन्म लिया है। पहले नशा दोष माना जाता था आज शानो-शौकत का प्रतीक माना जाता है। नशे में संलिप्त वर्ग की सार्वजनिक निंदा होनी चाहिए। सरकार भी कठोर कार्रवाई करे। नशा मुक्ति केंद्र बढ़ाए जाएं। स्वयंसेवी संगठन भी आगे आएं। स्कूल और कॉलेज में जन जागरण अभियान चलाए जाएं। स्कूल-कॉलेज में शिक्षकों को संदेश देना चाहिए कि भावी पीढ़ी नशा मुक्त बने।

श्रीमती केरा सिंह, नरवाना

अभिभावकों की जवाबदेही

पहले भी नशीले पदार्थों की बरामदगी और रेव पार्टियों से युवाओं को पकड़ा जा चुका है। नशे की ओर युवा पीढ़ी बढ़ रही है इसके कुछ कारण है। माता-पिता का अपने बच्चों पर नियंत्रण न होना, नशे का अंधाधुंध कारोबार या मानसिक बीमारी। अगर देश में नशा है तो युवा पीढ़ी नशा करने से परहेज नहीं करेगी। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण है माता-पिता का अपने बच्चों पर नियंत्रण। प्रत्येक माता-पिता को पता होता है कि उसका बच्चा कहां जाता है और क्या करता है। माता-पिता जब अपने बच्चे को डांटेगा या प्यार से समझाएगा नहीं तब तक कुछ भी नहीं हो सकता।

सतपाल सिंह, करनाल

गंभीर प्रयास हों

युवा पीढ़ी राष्ट्र का भविष्य-नींव दोनों ही होती है। नशा केवल नशा करने वाले को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार, समाज व देश को भी खोखला कर देता है। हर जुर्म की तह तक जाकर देखें तो कारण नशा ही होता है। यहां तक कि आतंकियों का भी यही सबसे बड़ा हथियार है। इसी नशे व पैसे का लालच देकर वो युवाओं को गुमराह करते हैं। युवा पीढ़ी शिक्षित होने के बावजूद नशे की गर्त में जा रही है। इसे रोकने के लिए सख्त कानून ही काफी नहीं बल्कि समाज के हर वर्ग व हर देशवासी के गंभीर प्रयास व बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान व चेतावनी शिविर लगाने की आवश्यकता है।

मुकेश विग, सोलन, हि.प्र.

पुरस्कृत पत्र

छुटकारा संभव

मन को मजबूत रखकर नशे की लत से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, नशे की लत से निजात पाने के लिए व्यक्ति को स्वयं को व्यस्त रखने की आवश्यकता होती है। नशा छोड़ने के लिए अपने पारिवारिक सदस्यों के बारे में विचार करें, उनके बारे में सोचें कि आप परिवार के लिए और परिवार आपके लिए कितनी अहमियत रखता है। साथ ही दोस्तों के साथ समय व्यतीत करें। फैमिली, खासकर छोटे बच्चों हों तो उनके साथ अधिकाधिक समय व्यतीत करनें का प्रयास करें। ऐसा करने से कोई भी नशे के दलदल से आसानी से बाहर निकलने में कामयाब हो सकता है।

सुनील कुमार महला, पटियाला, पंजाब

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