योग जो तन के साथ मन को भी साधे
अलका ‘सोनी’
ऋषि-मुनियों ने हमारे देश की संस्कृति को समृद्ध करने में अपूर्व योगदान दिया है। फिर चाहे वेद-पुराण की शिक्षाओं की बात हो या स्वस्थ जीवन जीने के लिए योग को अपनाने की। ऐसे में योग प्राचीन काल से ही भारत में लोकप्रिय रहा है। वहीं आज यह दुनियाभर में अपनाया जा रहा है। दरअसल, आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में स्वस्थ तन-मन पाने के लिए योगाभ्यास से बढ़कर कुछ नहीं।
जानें ‘ योग ‘ शब्द को
योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत की ‘युज’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ जुड़ना है। हमें शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने वाला यह योग भारत के षड्दर्शन (छह दर्शन) में से एक है। ये छह दर्शन हैं – सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा और वेदान्त। इन दर्शनों के आरंभिक संकेत उपनिषदों में भी मिलते हैं। वस्तुतः योग आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक क्रियाओं का एक समूह है। जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ना है। ऐसे में योग आसन, ध्यान और प्राणायाम को जोड़ने वाली पद्धति है।
स्वामी विवेकानन्द की भूमिका
पिछले 100 वर्षों में योग को वैश्विक स्तर पर एक विशिष्ट पहचान मिली है। इसका श्रेय स्वामी विवेकानंद को जाता है। स्वामी विवेकानंद के ‘राजयोग’ को, योग का पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है। पतंजलि योग सूत्रों के भाष्य और अनुवाद करने वाले स्वामी जी पहले भारतीय आचार्यों में से एक थे। स्वामी विवेकानंद ने योग की विशालता को व्यक्त करते हुए राजयोग नामक पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा था, ‘भारतीय दर्शन की सभी परंपरागत प्रणालियों का एक ही लक्ष्य, योग विधि द्वारा पूर्णता के माध्यम से आत्मा की मुक्ति है।’
अन्य प्रमुख योग गुरु
स्वामी विवेकानंद के साथ ही परमहंस योगानंद, श्री अरबिंदो आदि ने भी योग को विदेशी धरती पर लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। योग गुरु बीकेएस अयंगर ने योग को विदेश तक प्रसारित किया। उन्होंने अयंगर योग के नाम से योगशाला खोली, जिसके माध्यम से उन्होंने योग का दुनियाभर में प्रचार-प्रसार किया। वहीं योग गुरु तिरुमलाई कृष्णमाचार्य आधुनिक योग के पिता माने जाते हैं। उन्हें आयुर्वेद की भी जानकारी थी और जो लोग उनके पास इलाज के लिए आते, उनका वह आयुर्वेद एवं योग के माध्यम से इलाज करते थे। वर्तमान समय में योग गुरुओं में बाबा रामदेव और सद्गुरु जग्गी वासुदेव का नाम आता है।
योग की महत्ता का अहसास
आजकल लोगों के पास योग और व्यायाम करने का समय नहीं है। लेकिन कोरोना काल में लोगों ने योग के महत्व को समझा है। इम्यूनिटी बढ़ाने और तनावमुक्त रहने के लिए लोग योग का सहारा ले रहे हैं। नियमित योग करना शारीरिक और मानसिक तौर पर स्वस्थ रखने में मददगार है। इसी संदर्भ में हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है।
दिलो-दिमाग को सुकून
मन अशांत रहने के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। लेकिन योग करके आप अपने मन को शांत रख सकते हैं वहीं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रह सकते हैं। दरअसल, योग करने से काफी अच्छी नींद आती है जिससे मन शांत रहता है। योग खासकर ध्यान आपको मानसिक सुकून देता है।
बीमारियों से बचाव
योग सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। नियमित रूप से योग करने से बीमारियां पास नहीं फ़टकती हैं। योगाभ्यास रोगों से मुक्ति दिलाने में मदद करता है। योग गंभीर से गंभीर बीमारियों से भी बचाव करने में मददगार है। यदि कोई गंभीर बीमारी से पीड़ित है, तो योग उससे भी लड़ने की शक्ति देता है।
फिट रहने के लिए
आजकल लोग शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रह पाते हैं। जिससे वे कई तरह की लाइफस्टाइल जनित बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसमें मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज बेहद सामान्य हैं। इन्हें काबू में रखने के लिए योग सहज-सरल उपाय है। जिसे कोई भी अपना सकता है। यह खराब जीवनशैली से होने वाली बीमारियों से आपका बचाव करने में भी मदद करता है।
ऊर्जा और ताजगी
रोज सुबह के समय योग करना बेहद फायदेमंद है। सुबह योग करने से आप पूरे दिन ऊर्जावान रह सकते हैं। यह शरीर से आलस को दूर कर आपको तरोताजा रखने में भी मदद करता है। योग करने वाला व्यक्ति सक्रिय, तनावमुक्त और हमेशा खुश रहता है। योग व्यक्ति को प्रकृति के नजदीक ले जाता है।
शरीर में लचीलापन
शरीर तभी स्वस्थ रहता है जब उसमें रक्त संचार सही हो। अगर आप रोज योग, प्राणायाम या व्यायाम करते हैं, तो इससे आपका शरीर लचीला बन सकता है। वजह, योग पूरे शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे सभी अंग सुचारू रूप से काम करते हैं।