फर्नीचर मार्केट में चला पीला पंजा, गिराये अस्थायी शेड
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 30 जून (हप्र)
चंडीगढ़ की की सबसे बड़ी फर्नीचर मार्केट में रविवार को प्रशासन ने पीला पंजा चलाते हुए दुकानों के पीछे बने कई टेंपरेरी शेड्स को तोड़ दिया। इस दौरान भारी पुलिस बल भी तैनात रहा।
जानकारी के मुताबिक रविवार को प्रशासन के एस्टेट ऑफिस, नगर निगम ने मिलकर 29 अस्थायी शेड गिराए हैं। हालांकि जो फर्नीचर की 116 दुकानें हैं उन्हें अभी कुछ नहीं किया गया है। शेड्स को गिराने की कार्रवाई को दौरान किसी तरह का विरोध न हो इसके लिए मौके पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। फर्नीचर मार्केट चौक के दोनों तरफ बैरिकेडिंग का रास्ता बंद कर दिया गया है। हालांकि यह जो स्ट्रक्चर गिराए गए हैं, वह काफी छोटे और टेंपरेरी थे जिनके पास कोई कागजात नहीं थे। इस वजह से इन्हें हटाया गया है। प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि जो असली फर्नीचर मार्केट के दुकानदार हैं, उन सभी से 28 जून तक जवाब मांगे गए थे। उन जवाबों पर विचार चल रहा है। जवाबों की समीक्षा के बाद ही उन पर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, फर्नीचर मार्केट के व्यापारियों की मांग है कि जिस तरह चंडीगढ़ के धनास में मार्बल मार्केट बनाई गई है, उसी तरह फर्नीचर मार्केट भी बनाई जाए। जहां चंडीगढ़ प्रशासन जो भी पॉलिसी लाएगा, उसके हिसाब से चसभी दुकानदार अपनी दुकानें लेने को तैयार हैं। फर्नीचर मार्केट में अभी 116 दुकानदार हैं। इन सभी ने अलग-अलग अपने हलफनामे बनवाए हैं। फर्नीचर मार्केट के प्रधान ने बताया कि चंडीगढ़ के डीसी विनय प्रताप सिंह ने उन्हें उचित आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि फर्नीचर मार्केट के लिए जगह तय कर दुकानदारों को वहां जमीन आवंटित की जाएगी। लेकिन अभी सेक्टर 53 में फर्नीचर मार्केट बनाना मुश्किल है। इसलिए यह तय है कि आने वाले दिनों में फर्नीचर मार्केट किसी दूसरी जगह पर नजर आएगी।
चंडीगढ़ कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव शर्मा ने कहा कि चंडीगढ़ कांग्रेस सेक्टर 53 फर्नीचर मार्केट को जबरन हटाने का कड़ा विरोध करती है। कांग्रेस ने प्रशासन से आग्रह किया है कि फर्नीचर मार्केट को वैकल्पिक स्थान आवंटित होने तक उसे हटाने के अपने निर्णय को स्थगित कर दें।
2023 में खारिज कर दी थी याचिका
गौरतलब है कि इससे पहले प्रशासन का कहना है कि यह जमीन सरकारी है और दुकानदार अवैध रूप से कब्जा करके बैठे हैं। प्रशासन ने 2002 में ही इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया था, लेकिन दुकानदार कोर्ट से स्टे ले लेते थे। अब हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं, जिसके बाद प्रशासन ने यह कदम उठाया था। दुकानदारों का कहना है कि प्रशासन ने कई बार गुहार लगाने के बावजूद उन्हें शिफ्ट नहीं किया, जबकि वे हर साल करोड़ों रुपये जीएसटी देते हैं। विभाग का कहना था कि यह जमीन 2002 में ही अधिग्रहित कर ली गई थी जो कि बढहेरी गांव का हिस्सा है। दुकानदारों द्वारा हाईकोर्ट में जमीन खाली करने पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की गई थी, जिसे सितंबर 2023 में खारिज कर दिया गया था।