For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

बदलते रिश्तों, सामाजिक कुरीतियों और इच्छाओं से ऊपर उठकर ही नारी बनेगी सशक्त: सुषमा जोशी

05:11 PM Oct 21, 2024 IST
बदलते रिश्तों  सामाजिक कुरीतियों और इच्छाओं से ऊपर उठकर ही नारी बनेगी सशक्त  सुषमा जोशी
Advertisement

चंडीगढ़, 21 अक्तूबर (ट्रिन्यू)
साहित्य प्रेमियों और सामाजिक विचारकों के लिए यह एक यादगार दिन था जब लेखिका सुषमा जोशी के 75 कविताओं के काव्य संग्रह 'मन परिंदा' का भव्य लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर, जोशी ने महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए समाज में मौजूद बदलते रिश्तों, कुरीतियों और इच्छाओं से ऊपर उठने की आवश्यकता पर जोर दिया।

Advertisement

उन्होंने कहा कि नारी को सशक्त बनना है, तो उसे समाज में मौजूद कुरीतियों और अपने भीतर की इच्छाओं से ऊपर उठना होगा। जब तक नारी इन सीमाओं को पार नहीं करती, वह अपनी वास्तविक शक्ति को पहचान नहीं पाएगी।

काव्य संग्रह 'मन परिंदा' नारी की उड़ान, उसकी अस्मिता, चुनौतियों और आंतरिक ताकत को बखूबी व्यक्त करता है। जोशी ने बताया कि यह संग्रह उनके जीवन के अनुभवों और महिलाओं से जुड़े सामाजिक मुद्दों पर उनके विचारों की अभिव्यक्ति है।

Advertisement

अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा महर्षि बाल्मीकि जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में शहर के कई प्रतिष्ठित साहित्यकार, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा कवि उपस्थित रहे। सभी ने इस संग्रह की सराहना की और इसे नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

विशिष्ट अतिथि प्रेम विज, मनोज भारत और राजेश अत्रेय ने कहा कि सुषमा की कविताएँ नारी की स्वतंत्रता और संघर्षों का जीवंत चित्रण हैं। 'मन परिंदा' के माध्यम से उन्होंने महिलाओं की स्थिति को बेहद संवेदनशीलता से पेश किया है। इस अवसर पर जोशी ने अपने कुछ पसंदीदा अंश भी सुनाए, जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा।

कार्यक्रम में प्रेम विज (अध्यक्ष, संवाद साहित्य मंच पंचकूला), डॉ. महेंद्र सिंह ‘सागर’ (अध्यक्ष, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, हरियाणा इकाई), और शंखुदत्ता काजल (अध्यक्ष, भारत कला संगम, पिंजौर) उपस्थित रहे। पुस्तक समीक्षा के लिए डॉ. मनीष भारद्वाज (महासचिव, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, हिमाचल प्रदेश) और श्राजेश अत्रेय (सचिव, हरियाणा मंच, नई दिल्ली नाट्य अकादमी) ने विशेष रूप से उपस्थिति दर्ज कराई।
'मन परिंदा' सुषमा जोशी द्वारा लिखित 75 कविताओं का संग्रह है, जिसमें नारी जीवन के विभिन्न पहलुओं, चुनौतियों, इच्छाओं और आंतरिक शक्ति को चित्रित किया गया है। यह संग्रह समाज में महिलाओं की स्थिति और उनकी आत्मनिर्भरता पर गहरा दृष्टिकोण प्रदान करता है।

Advertisement
Advertisement