मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

कर्मठता की पूंजी

01:03 PM Sep 03, 2021 IST

साम्यवाद के जन्मदाता कार्ल मार्क्स अपना अमर ग्रंथ ‘दास कैपिटल’ लिखने में तल्लीन रहते थे। इस कार्य के लिए उन्हें पूरा समय पुस्तकालयों से नोट वगैरह लेने में लगाना पड़ता था। ऐसे में परिवार का निर्वाह उनके लिए एक बड़ी परेशानी बन गया। उन्हें बच्चे भी पालने थे और अध्ययन सामग्री भी जुटानी थी। दोनों ही कार्यों के लिए उन्हें पैसा चाहिए था। इन विकट स्थितियों में मार्क्स की पत्नी आगे आई। उन्होंने पैसों की समस्या से निपटने के लिए एक गृह उद्योग शुरू किया। इस गृह उद्योग के लिये वो कबाडि़यों की दुकानों से पुराने कोट खरीदकर लाती और उन्हें काटकर बच्चों के लिए छोटे-छोटे कपड़े बनाती। इन कपड़ों को वह एक टोकरी में रख मोहल्ले में घूमकर बेच आती। मार्क्स की पत्नी की इसी कर्मठता के कारण ही हमें ‘दास कैपिटल’ जैसा ग्रंथ पढ़ने को मिला। कार्ल मार्क्स के प्रयासों की सफलता में जेनी का अकथनीय योगदान था। वे अपने पति से हमेशा यह कहा करती थी– ‘दुनिया में सिर्फ़ हम लोग ही कष्ट नहीं झेल रहे हैं।’

Advertisement

प्रस्तुति : देवेंद्र शर्मा 

Advertisement
Advertisement
Tags :
कर्मठतापूंजी