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महिला आरक्षण और जमीनी हकीकत

06:37 AM Oct 09, 2023 IST
महिला आरक्षण और जमीनी हकीकत
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बदलेगी जमीनी स्थिति

आधी दुनिया महिलाओं की है। वे पढ़ी-लिखी भी हैं और जीवन के हर क्षेत्र में संघर्ष करती भी नजर आ रही हैं। उनको पंचायती राज व निकायों में आरक्षण का लाभ भी मिल रहा है। इसका श्रेय पिछली सरकारों को ही जाता है। फिर भी घर से बाहर राजनीति में उनके पुरुष प्रतिनिधि ही असरदार साबित हो रहे हैं। अब राजग सरकार द्वारा उनको संसद व विधानसभाओं में 33 फीसदी आरक्षण देना एक स्वागतयोग्य कदम है। देर-सवेर कार्यपालिका में महिलाओं की संख्या बढ़ने से जरूर एक दिन उनकी जमीनी हकीकत बदलेगी।
देवी दयाल दिसोदिया, फरीदाबाद

लुभाने का हथकंडा

तीन दशक की जद्दोजहद के बाद महिला आरक्षण बिल पास हो ही गया। विपक्षी दल इसे आगामी पांच विधानसभा तथा 2024 के संसदीय चुनावों के लिए महिला वोटरों को लुभाने का हथकंडा ही कह रहे हैं। अभी कानून पास हुआ है उसमें कहीं भी ओबीसी, अन्य पिछड़ी तथा अनुसूचित जातियों की महिलाओं को आरक्षण देने की बात नहीं कही गई। अगर महिला आरक्षण बिल ने 2029 में ही लागू होना है तो सरकार ने जल्दी क्यों की? वैसे महिलाओं की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं होगा, आशंका है कि पुरुष प्रधान संसद में महिलाओं को अपनी इच्छा अनुसार शायद ही कुछ करने दिया जाएगा।
शामलाल कौशल, रोहतक

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समता की राह

देश की आधी आबादी को देश की संसद एवं विधानसभाओं में उचित प्रतिनिधित्व मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह महिलाओं के लिए गौरव की बात है। महिला आरक्षण विधेयक से लैंगिक असमानता को मिटाने में सहायता मिलेगी एवं समानता के सिद्धांत को बल मिलेगा। जनगणना एवं परिसीमन का कार्य शेष होने के कारण महिला आरक्षण को लागू नहीं किया जा रहा है। निश्चित ही भविष्य में महिला आरक्षण विधेयक का लाभ देश की महिलाओं को प्राप्त होगा। देश के लिए नीति के निर्धारण में महिलाओं के अनुभव, कौशल, युक्ति एवं मैनेजमेंट का योगदान सुनिश्चित होगा।
ललित महालकरी, इंदौर, म.प्र.

राजनीति में परिवर्तन

सत्ता में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होने से राजनीति में भी बदलाव आने की संभावना है। देश की राजनीति में पुरुष वर्चस्व टूटेगा। वैसे देखा गया है कि बहुत-सी महिलाएं अपने परिवार के पुरुष मुखिया के अनुसार अपने मत का प्रयोग करती हैं। चुनाव जीत जाने के बाद सत्ता की कमान उनके पति संभाल लेते है। खासतौर पर गांव और स्थानीय स्तर पर। इसका सुधार भी जरूरी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि जमीन से जुड़ी व महिला सरोकारों के प्रतिबद्ध महिलाएं ही जनप्रतिनिधि सदनों में पहुंचे। तभी महिला आरक्षण विधेयक महिलाओं के सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
गणेश दत्त शर्मा, होशियारपुर

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सकारात्मक बदलाव

केन्द्रीय कैबिनेट ने लोकसभा व विधानसभाओं में महिलाओं को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण की मंजूरी दी है। इसका प्रभाव दुनिया में सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जायेगा। महिलाओं को उनका वास्तविक हक मिलेगा। नि:संदेह भारतीय लोकतंत्र में महिलाओं की सशक्त भूमिका होगी। आशा है कि जमीन से जुड़ी महिलाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में चुने जाने के अवसर मिलेंगे। लेकिन आम चुनाव के बाद होने वाली जनगणना व परिसीमन की शर्त से इसके क्रियान्वयन पर अनेक सवाल खड़े हुए हैं। अधिनियम बनता है तो उसमें क्लॉज या प्रवृत्त होने की तिथि भी होती है और इसकी तिथि की अधिसूचना सरकार जारी करती है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़

नजरिया बदलेगा

संसद के दोनों सदनों एवं विधानसभा में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था से बड़ी संख्या में महिलाएं सांसद एवं विधायक चुनी जाएंगी, जो अपनी बौद्धिक क्षमता और दक्षता का परिचय देंगी। नि:संदेह देश की महिलाओं के प्रश्नों को गंभीरता से रखा जाएगा। महिलाओं के प्रति नजरिया बदलेगा और सम्मान होगा, उनके मुद्दों का शीघ्र हल होगा। देश के सामाजिक आर्थिक शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी। उनकी बात को गंभीरता से लिया जाएगा। केंद्र एवं राज्य सरकार में भी उनकी एक बड़ी भूमिका सुनिश्चित हो सकेगी।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

पुरस्कृत पत्र
योग्य को मिले लाभ

भारत में महिलाओं को आरक्षण मिलना भविष्य में एक ऐतिहासिक घटना होगी। सही मायनों में हमारे नीति-नियंता समाज की वास्तविक समस्याओं को संबोधित करते ही नहीं, वे उन मुद्दों को हवा देते हैं जो उन्हें वोट दिलाने में मददगार होते हैं। हमने संसद में ‘नारी शक्ति वंदन’ बिल पारित तो करा दिया है, लेकिन यह सुनिश्चित करना अभी शेष है कि इसका लाभ योग्य प्रत्याशी को ही मिले। क्या फिर पहले से ही पीढ़ी दर पीढ़ी सत्ता पर काबिज राजनेताओं की पत्नी, बेटी और बहू आदि को ही इस आरक्षण का लाभ मिलेगा।
कु. नन्दिनी पुहाल, पानीपत

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