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एहतियात और देखभाल  से लिवर होगा रोगमुक्त

06:11 AM May 22, 2024 IST

हेपेटाइटिस ए यानी पीलिया रोग हमारे लिवर को प्रभावित करता है। वजह है वायरस संक्रमण। जो हाइजीन की कमी खासकर खाने से पूर्व हाथ न धोने, दूषित खानपान के चलते होता है। हेपेटाइटिस की पहचान, इसके कारणों व उपचार व वैक्सीन को लेकर नई दिल्ली स्थित एक अस्पताल की चीफ गेस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डॉ. मोनिका जैन से रजनी अरोड़ा की बातचीत।

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इन दिनों केरल में हेपेटाइटिस ए कहर बरपा रहा है। वहां हेपेटाइटिस ए के तेजी से फैलने की वजह कुछ भी हो लेकिन पिछले चार महीनों में प्रदेश में संक्रमण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं जबकि करीब 12 लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग ने केरल के चार जिलों में अलर्ट जारी किया है। लोगों से सावधानी और हाइजीन का ध्यान रखने की अपील की है। यह हेपेटाइटिस फ्लेवी वायरस से होने वाली बीमारी है जो लिवर को प्रभावित करती है। आम बोलचाल में इसे जॉन्डिस या पीलिया कहा जाता है। यह दूषित पानी और दूषित भोजन के सेवन से होता है। इसका संक्रमण फीको ओरल रूट के जरिये होता है। लिवर हमारी बॉडी का दूसरा बड़ा ऑर्गन है। व्यक्ति को स्वस्थ रखने के लिए लिवर का बड़ा योगदान है। यह बॉडी के मेटाबॉलिज्म सिस्टम को कंट्रोल में रखता है। बाइल फ्ल्यूड का निर्माण करता है जो भोजन को पचाने, इसमें मौजूद पोषक तत्वों के अवशोषण या स्टोर करने में मदद करता है। ब्लड को फिल्टर कर विषाक्त पदार्थां को शरीर से बाहर निकालने का काम करता है। हेपेटाइटिस इन्फेक्शन होने से लिवर में सूजन आ जाती है और उसकी कार्यप्रणाली बाधित हो जाती है। हेपेटाइटिस अगर ज्यादा ही बढ़ जाए तो लिवर फेल हो सकता है।

ये हैं कारण

हेपेटाइटिस ए वायरस मानव मल में मौजूद होता है। यह रोग हाइजीन का ध्यान न रखने, टॉयलेट जाने के बाद अच्छी तरह हाथ न धोने से फैलता है। यदि ऐसा व्यक्ति गंदे हाथों से खाने-पीने की चीजें छूता है, तो वायरस उनमें चले जाते हैं। इन संक्रमित चीजों को खाने से हैपेटाइटिस ए वायरस मुंह से शरीर में प्रवेश करता है और लीवर को नुकसान पहुंचाता है। चूंकि हेपेटाइटिस ए संक्रमित व्यक्तियों के स्टूल से फैलने वाला रोग है। कई जगहों पर पाइप लाइनों की लीकेज के कारण यह मल शुद्ध जल के संपर्क में आ जाता है। दूषित पानी पीने से यह तेजी से फैलता है। बदलते मौसम में बरसात होने, जलभराव होने की स्थिति में पीने का पानी गंदा होने से भी हेपेटाइटिस इंफेक्शन की संभावना ज्यादा रहती है। इसके अलावा हेपेटाइटिस ए इससे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने,उसके रेजर, ब्रश, नेलकटर आदि का इस्तेमाल करने से भी हो सकता है।

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ऐसे करें पहचान

हेपेटाइटिस ए से संक्रमित व्यक्ति को लगातार हल्का बुखार रहता है और उल्टियां होती हैं। साथ ही ज्यादा थकान के साथ जोड़ों और मांसपेशियों में भी दर्द रहता है। पेट दर्द की भी शिकायत रहती है। जी मितलाना या डायरिया की शिकायत रहती है। त्वचा और आंखों में पीलापन आ जाता है। भूख कम हो जाती है और वजन भी घटने लगता है ।

समय पर लें उपचार

समय पर मरीज को डॉक्टर को दिखाना चाहिए ताकि लिवर खराब होने से बचाया जा सके। डॉक्टर हैपेटाइटिस की जांच के लिए मरीज का लिवर फंक्शन टेस्ट और आईएनआर ब्लड टेस्ट करते हैं। एहतियात बरत कर और देखभाल के उपरांत आमतौर पर मरीज 3-4 सप्ताह में ठीक हो जाता है। लेकिन स्थिति गंभीर होने पर डॉक्टर आगे इलाज करते हैं। उपचार के लिए अधिक दवाइयों की जरूरत नहीं पड़ती। शुरुआती लक्षण होने पर ही अगर हैपेटाइटिस ए का वैक्सीन मरीज को लगा दिया जाए, तो बचाव हो सकता है।

वैक्सीन की डोज कब लगवाएं

वैसे तो भारत सरकार के नेशनल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम के तहत बच्चों को हेपेटाइटिस की वैक्सीन लगाने का प्रावधान है। हेपेटाइटिस ए से बचाने के लिए दो तरह की वैक्सीन (HepA) मिलती हैं- हेपेटाइटिस ए की इनएक्टिव वैक्सीन आती है जिसकी पहली डोज़ बच्चे को एक साल की उम्र के बाद और दूसरी डोज़ 6 महीने के अंतराल पर लगाई जाती है। हेपेटाइटिस की दूसरी लाइव वैक्सीन है जिसकी एक साल के बाद बच्चे को सिंगल डोज़ लगाई जाती है। अगर कोई बड़ा व्यक्ति यह वैक्सीन लगवाना चाहता है तो पहले उसके शरीर में हेपेटाइटिस एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है। टेस्ट नेगेटिव आने पर ही वैक्सीन लगाई जाती है।

कैसे करें बचाव

हेपेटाइटिस ए से बचने के लिए हाइजीन विशेषकर हैंड-हाइजीन का ध्यान रखना जरूरी है। खाना खाने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं। नाखून समय-समय पर काटते रहें। दूषित तालाब, नदी और झील का पानी पीने से बचना चाहिए। घर से बाहर जाने पर या तो स्टील बोतल में पानी घर से लेकर जाएं या फिर अच्छे ब्रांड का बोतलबंद पानी ही पिएं। यथासंभव घर में बने पौष्टिक भोजन का सेवन करें। कच्ची सब्जियां या सलाद अच्छी तरह धोकर खाएं। अगर बाहर खाना ही हो तो किसी अच्छे रेस्तरां में खाएं। खोमचे-रेहड़ी पर मिलने वाले भोजन खाना अवॉयड करें। खुले में मिलने वाले कटे फल और सब्जियां न खाएं। बच्चों को हेपेटाइटिस वैक्सीन लगवाएं वहीं हेपेटाइटिस ए से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।

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