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शिक्षण के साथ ही जहां हो माहौल बहुमुखी विकास का

08:36 AM Apr 23, 2024 IST
शिक्षण के साथ ही जहां हो माहौल बहुमुखी विकास का
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राजेंद्र कुमार शर्मा
देश के अधिकांश हिस्सों में अप्रैल से जून तक का समय विद्यालयों में नए सत्र और नए एडमिशन का रहता है। उन अभिभावकों के लिए एक अच्छे विद्यालय की खोज एक चुनौतीपूर्ण कार्य है जिनका बच्चा अपनी स्कूली शिक्षा को आरंभ करने जा रहा है। विशेषकर शहरों में जहां स्कूली शिक्षा का पूर्णतः व्यवसायीकरण हो चुका है। माता-पिता सर्च इंजन रैंकिंग और लुभावने विज्ञापनों के चक्कर में न पड़ कर, स्वयं विद्यालयों का भ्रमण कर ऐसे विद्यालय की खोज करें जो उनके बच्चे के समग्र विकास में सहायक बन सके। पहली बार स्कूल जाने वाले बच्चे के लिए विद्यालय एक सुखद अनुभव होना चाहिए न कि एक बोझिल वातावरण। नई शिक्षा नीति में विद्यालय शिक्षा 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 हो गया है। जिसमे पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। कक्षा एक में आने से पूर्व विद्यार्थी को तीन वर्षीय पूर्व प्राथमिक पाठ्यक्रम नर्सरी, एलकेजी तथा यूकेजी में अध्ययन करना होगा। इन तीन वर्षों में बच्चों को एक्टिविटी आधारित शिक्षण द्वारा शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को सिखाया जाना अनिवार्य किया गया है। ऐसे में अभिभावकों का अपने बच्चे को स्कूल में प्रवेश को लेकर जागरूक होना अति आवश्यक है। जानिये बच्चे के समग्र विकास के लिए स्कूल की किन विशेषताओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
कुशल और केयरिंग शिक्षक
प्रिंसिपल, शिक्षकों और अन्य सहायक कर्मचारियों में अपने क्षेत्र की गुणवत्ता और कौशल होना बहुत आवश्यक है। यदि प्रभावी नेतृत्व है, तो स्कूल का विज़न कायम रहता है, और शिक्षकों के साथ व्यापक और सहयोगी रणनीति बनाई जाती है ताकि उनके छात्रों की ज़रूरतों को बेहतर ढंग से पूरा किया जा सके। छात्र सबसे अच्छा तब सीखते हैं जब वे अपने शिक्षकों पर भरोसा कर सकते हैं। उन्हें कुशल, सतर्क शिक्षकों की ज़रूरत होती है ,जो उनके सीखने के लक्ष्य प्राप्ति में मदद करने के लिए तत्पर हों। स्कूल में छोटी कक्षाओं, दोस्ताना स्टाफ़, इंटरेक्टिव पाठों का प्रावधान हो।
सुरक्षित और सहायक माहौल
छात्र तब भी बेहतर सीखते हैं जब उन्हें पता होता है कि उनका वातावरण सुरक्षित और सहायक है। एक अच्छे प्राथमिक विद्यालय में इस बात के लिए सख्त नीतियां होती हैं कि वे किस तरह के व्यवहार को पसंद नहीं करते हैं और इन स्थितियों को कैसे संभाला जाएगा? यह भी देखना चाहिए कि क्या उनके पास कोई मध्यस्थता सत्र, जीवन कौशल कक्षाएं और अन्य सहायक उपाय हैं जो उनके छात्रों को अनुशासनहीनता जैसे व्यवहारों से निपटने में मदद करते हैं।
शैक्षणिक और भावनात्मक विकास में संतुलन
स्कूल शैक्षणिक पहलू सीखने के लक्ष्यों को पूरा करने से कहीं ज़्यादा है। यह एक ऐसी जगह भी होनी चाहिए जहां छात्र भावनात्मक रूप से विकसित हो सकें, अपने सहपाठियों से जुड़ सकें और बातचीत कर सकें। कम उम्र में भी भावनात्मक, सामाजिक और नेतृत्व कौशल विकसित करने की आवश्यकता होती है। स्कूल जो पारंपरिक और आधुनिक दोनों तरह के शिक्षण दृष्टिकोणों को जोड़ता है, वह श्रेष्ठ माना जा सकता है। अच्छे प्राथमिक विद्यालय में मज़बूत शैक्षणिक पाठ्यक्रम और सामाजिक गतिविधियों के बीच संतुलन और समन्वय होगा।
विद्यार्थी के लिए निजी शिक्षण लक्ष्य
इस उम्र के लिए समूह शिक्षण काफी महत्वपूर्ण है। वहीं छात्रों का मूल्यांकन उनकी व्यक्तिगत शिक्षण शक्तियों और आवश्यकताओं के अनुसार भी किया जाना चाहिए। स्कूल ऐसा हो जो प्रत्येक छात्र के शिक्षण लक्ष्यों पर ध्यान दे। क्योंकि यह बच्चों को काम करने के अवसर प्रदान करता है। यह भी कि वे अपनी आंतरिक शक्तियों और गुणों का निर्माण और विकास कर सकें। शिक्षकों को प्रत्येक छात्र को अपने लक्ष्यों की पहचान करने में मदद करनी चाहिए। ऐसा करके वे अपने छात्रों को आत्म-प्रेरित करने और जवाबदेह रखने की क्षमता विकसित करने में मदद करते हैं।
उत्साही शिक्षक
छोटे बच्चे भी बता सकते हैं कि किसी को अपना काम करने में आनंद आ रहा है या नहीं। उदासीन और हतोत्साहित व्यक्ति को कोई अभिभावक अपने बच्चे का शिक्षक बनाना नहीं चाहेगा। इसका कारण है कि बच्चे अपने जीवन में वयस्कों की नकल करते हैं, और इसमें उनके शिक्षक भी शामिल हैं।
सीखने का आनंदमय माहौल
छोटे बच्चों के सीखने में मौज-मस्ती का अपना एक विशेष महत्व है। खासकर उन बच्चों के लिए जो आसानी से रुचि खो देते हैं और उनका ध्यान कम समय तक रहता है। इसलिए सफलतापूर्वक सीखने में मौज-मस्ती एक महत्वपूर्ण कारक है। सर्वश्रेष्ठ विद्यालय इस आवश्यकता को पहचानते हैं और अपने छात्रों के लिए मज़ेदार और जानबूझकर सीखने के माहौल निर्माण का प्रयास करते हैं। बच्चों को सीखना पसंद होता है , जब वे आकर्षक गतिविधियों वाले सुखद वातावरण में होते हैं। इंटरैक्टिव पाठ छात्रों को ध्यान केंद्रित करने में मदद करते हैं।
समस्या समाधान के अवसर
स्कूल में बच्चे की जिज्ञासा शांत करने के लिए पर्याप्त अवसर की आवश्यकता होती है। यह नई परिस्थितियों का सामना करने और उनके आलोचनात्मक सोच के कौशल को विकसित करने की उनकी क्षमता के निर्माण में महत्वपूर्ण है। विद्यालय के लिए यह आवश्यक है कि वह छात्रों को नई चीजें आज़माने, कक्षा में प्रयोग करने और समस्याओं को हल करने के मज़ेदार तरीके खोजने दे। स्कूल चयन के लिए शैक्षणिक उत्कृष्टता के अतिरिक्त शिक्षण स्टाफ की स्थिरता, पाठ्येतर गतिविधियां, सहयोगी वातावरण, शिक्षण तकनीकी , माता-पिता की भागीदारी आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाना भी आवश्यक है।

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