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नाकामी से उपजा जल भराव संकट

08:17 AM Oct 14, 2024 IST
नाकामी से उपजा जल भराव संकट
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जन संसद की राय है कि जल भराव व अतिवृष्टि से उत्पन्न स्थितियां शासन-प्रशासन की नाकामी की देन हैं। नीतिकार मौसम के बदलाव के अनुरूप नीतियां बनाने में विफल रहे हैं। नागरिकों को जागरूक करने को अभियान चलाएं।

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पुरस्कृत पत्र

जागरूकता अभियान चले

देश में जल भराव संकट तंत्र की नाकामी का संकेत है। बारिश के मौसम में जल निकासी व्यवस्था की कमी, अनियोजित शहरीकरण और प्राकृतिक जलधाराओं का अतिक्रमण इस संकट को और बढ़ा रहा है। सड़कों पर जलजमाव, फसलों का नुकसान और स्वास्थ्य समस्याएं आम हो गई हैं। इसके पीछे उचित योजना और कार्यान्वयन की कमी है। सरकार को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जल निकासी प्रणालियों का विकास, पौधारोपण, और पर्यावरण की ओर संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक हैं। यदि हम आज इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो परिणाम और भी गंभीर हो सकते हैं।
भगवानदास छारिया, इंदौर म.प्र.

प्रकृति अनुकूल नीति

विकास की दौड़ में वृक्षों का कटान, कुदरत से छेड़छाड़, और ग्लोबल वार्मिंग के कारण देश जल भराव की समस्या का सामना कर रहा है। बेमौसमी बारिश से धराशायी इमारतें और अवरुद्ध यातायात मार्ग शासन-प्रशासन की खामियों को उजागर करते हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए सुचारु सीवरेज प्रणाली, बड़े बांधों का निर्माण, और पौधारोपण आवश्यक हैं। विज्ञान और तकनीक को लोगों को बाढ़ के प्रति सचेत करना चाहिए और बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में गोताखोरों की व्यवस्था करनी चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल

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सुरक्षित जल प्रबंधन

शहरों में अतिक्रमण रोकना और स्तरीय रखरखाव सुनिश्चित करना आवश्यक है। महानगरों और पहाड़ी क्षेत्रों में अवैध निर्माण से जल भराव का संकट बढ़ रहा है। नालियों और पुलों के आसपास अतिक्रमण और कचरे के ढेर जल निकासी में बाधा डालते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण पानी का बहाव बाधित होता है, जिससे भूमि कटाव और वृक्ष उखड़ने से संकट बढ़ता है। बारिश से पूर्व जल निकासी की प्रशासनिक तैयारी जरूरी है, क्योंकि नेपाल से आने वाला पानी भी समस्याएं पैदा कर रहा है।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन

शासन की जवाबदेही

बारिश के मौसम में सड़कों पर जल भराव और सीवरेज का अवरुद्ध होना आम समस्या है। शायद ही कोई शहर हो, जहां सीवरेज व्यवस्था अच्छी हो। यह देखकर अफसोस होता है कि शासन-प्रशासन इस स्थिति को क्यों अनदेखा करता है। जो प्रशासन लोगों को जीवन के सामान्य कायदे नहीं सिखा सकता, वह कैसा प्रशासन है? लोगों की जीवनशैली भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार है। प्रशासन को चाहिए कि वह लोगों को जागरूक करे और समय रहते ठोस कदम भी उठाए।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी

हरित क्षेत्र बने

मौसमी बदलाव के कारण अप्रत्याशित बारिश से कई शहर पानी में डूबते नजर आए। जल निकासी के मार्गों पर अतिक्रमण और प्रशासन द्वारा समय पर तैयारी न करना भी इसका कारण रहा। आम जनता को बड़ी परेशानी झेलनी पड़ी। प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वह समय रहते जल संचयन और कचरे की पुनर्चक्रण की व्यवस्था करें। जलभराव वाले क्षेत्रों में जल अवशोषण के लिए हरित क्षेत्र बनाये जाएं। जल भराव के खतरों के बारे में जागरूकता भी फैलाई जाए ताकि जान माल का नुकसान न हो।
पूनम कश्यप, नयी दिल्ली

जल निकासी इंतजाम

समय-समय पर सड़कों की मरम्मत और बदलते वक्त के साथ ढांचे के मद्देनजर पर्याप्त इंतजाम करना सरकार की जिम्मेदारी है। बेसमेंट और अंडरपास बनाने की इजाजत तो सरकार ने दे दी पर जल निकासी की तरफ ध्यान नहीं दिया। नई सोसाइटियां बनाने की सरकार अनुमति दे देती है, जल निकासी के इंतजाम की तरफ ध्यान नहीं देती। समय-समय पर सड़कों व नालों की सफाई, नई पाइपें डालना, गड्ढों की मरम्मत और निचले इलाकों को ऊंचा करना सरकार की जिम्मेदारी है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली

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