पानी-पानी राजधानी
जीवनदायिनी यमुना दिल्ली के लोगों को डरा रही है। वजह है यमुना का जल स्तर पिछले 45 साल के रिकॉर्ड को तोड़ रहा है। बुधवार शाम छह बजे यमुना का जल स्तर 207.55 मीटर तक पहुंच गया, जबकि दिल्ली में यमुना के खतरे का निशान 205.33 मीटर ही है। उस पर केंद्रीय जल आयोग की भविष्यवाणी डरा रही है कि बुधवार की रात को यमुना का जलस्तर 207.72 मीटर तक पहुंचने की आशंका है। निस्संदेह, यह दिल्ली वालों के लिये अच्छी खबर नहीं है। अब जब यमुना का पानी रिंग रोड व कश्मीरी गेट स्थित आईएसबीटी के निकट सड़कों तक पर दस्तक देने लगा है, तो दिल्ली सरकार के माथे पर भी चिंता की लकीरें उभर आई हैं। इससे दिल्ली का यातायात भी प्रभावित हो रहा है। यमुना के उफान को देखते हुए केजरीवाल सरकार ने एनडीआरएफ से मदद मांगी है। नदी के किनारों पर स्थित निचले स्थानों पर पहले ही बाढ़ जैसे हालात हैं और विस्थापितों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। तटों की तरफ लोगों की आवाजाही रोकने के लिये धारा 144 लगाई गई है। संकट के बाबत मुख्यमंत्री ने विभिन्न प्रशासनिक व राहत से जुड़े विभागों की आपात बैठक बुलायी है। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री को भेजे पत्र में चिंता जाहिर की है कि हथिनी कुंड बैराज से ज्यादा पानी छोड़े जाने से यह संकट पैदा हुआ है। दिल्ली को बचाने के लिये छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा को कम किया जाये। उन्होंने चेताया है कि यदि बाढ़ आती है तो आने वाले दिनों में दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर की मेजबानी के चलते दुनिया में अच्छा संदेश नहीं जायेगा। केंद्रीय गृहमंत्री को लिखे पत्र में केजरीवाल ने कहा है कि अगर तुरंत यमुना में हथिनी कुंड बैराज से छोड़े जा रहे पानी को नहीं रोका गया तो दिल्ली में हालात बिगड़ सकते हैं। निस्संदेह, हालात लोगों की फिक्र बढ़ाने वाले ही हैं।
दरअसल, चिंता की बात यह भी है कि फिलहाल दिल्ली में बारिश नहीं हो रही है, लेकिन मौसम विभाग ने पंद्रह व सोलह जुलाई के लिये बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। जाहिर है कि यदि बारिश होती है तो समस्या जटिल हो सकती है। दिल्ली में पानी निकासी की समस्या खड़ी हो सकती है। दरअसल, वर्ष 1978 में जब यमुना का जल स्तर 207.49 हुआ तो दिल्ली को भारी बाढ़ का सामना करना पड़ा था। बताया जाता है कि तब बाढ़ से करीब 43 वर्ग किलोमीटर की कृषि भूमि जलमग्न हो गई थी। लाखों लोग बेघर हो गये थे। लेकिन तब यमुना के किनारे पुस्ते नहीं बनाये गये थे। इस बार के जल स्तर के अधिक होने से लोगों की चिंता बढ़ गई है। बताते हैं कि केंद्र सरकार ने हथिनी कुंड बैराज का पानी रोकने में असमर्थता जाहिर की है। हालांकि हिमाचल आदि से पानी कम आ रहा है, लेकिन फिर भी पानी का जलस्तर बढ़ने की आशंका है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में यमुना का जल स्तर 207.11 व वर्ष 2013 में जल स्तर 207.32 मीटर होने पर भी दिल्ली को बाढ़ का सामना करना पड़ा था। यमुना का पानी नोएडा-दिल्ली लिंक रोड पहुंचने से चिंता बढ़ गई है, जिसके मद्देनजर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली सचिवालय में सभी विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई है। फिक्र की बात यह है कि उत्तराखंड व हिमाचल की नदियों का जल स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते दिल्ली सरकार ने निचले इलाके के लोगों से तुरंत घर खाली करके सुरक्षित स्थानों पर चले जाने को कहा गया है। वहीं केंद्रीय जल आयोग की जल स्तर बढ़ने की चेतावनी लोगों की चिंता बढ़ा ही रही है। उस पर चिंता यह भी कि पिछले दिनों जुलाई के दूसरे हफ्ते में दिल्ली में बारिश ने पिछले चालीस साल का रिकॉर्ड तोड़ा है, जिसके लिये दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम तैयार नहीं है। निस्संदेह, ग्लोबल वार्मिंग से बारिश के पैटर्न में आये बदलाव के चलते हमारे शहरों के नियोजन पर नये सिरे से विचार करना होगा। साथ ही बरसाती पानी के निस्तारण के लिये युद्ध स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है।