मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

War against Drugs फिट रहने के जुनून से होगा नशे के नासूर का मुकाबला

04:05 AM Jan 08, 2025 IST
व्यायाम करके जीवनशैली में सुधार

नशे की लत जीवन के हर पहलू पर दुष्प्रभाव डालती है। युवावस्था में ही बीमारियों का शिकार बना देती है। ड्रग्स के जाल में फंसे युवा अपराध में फंस जाते हैं। एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादा शराब पीने की आदत का दौ सौ से भी अधिक बीमारियों से संबंध है। नकारात्मक सोच और स्वयं अपना जीवन छीन लेने से नशे का खास रिश्ता है। ऐसे में नशे के नासूर का मुकाबला फिटनेस के मंत्र से करें। युवा स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं व दोस्तों की देखादेखी में ड्रग्स की लत से दूर रहें।

Advertisement

डॉ. मोनिका शर्मा
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने युवाओं में बढ़ रही नशे की लत को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि ड्रग्स का सेवन करना बिल्कुल भी ‘कूल’ नहीं है। यह खतरनाक है कि आज युवाओं के बीच इसका इस्तेमाल ‘कूल’ समझा जाने लगा है। यह लत दोस्ती का सबब बन गई है। युवाओं की ही आम भाषा में चेताते सुप्रीम अदालत के शब्द आधुनिक जीवनशैली और नशा करने को जोड़कर देखने वाली मानसिकता पर चोट करने वाले हैं। न्यायालय की नसीहत देश के युवाओं को ज़िंदगी के मनगढ़ंत अंदाज़ के जाल में फंसने को लेकर चेताती है। साथ ही अजब-गजब छवि गढ़ने के फेर में नशे की लत का शिकार होने से बचाने की सीख भी लिए है।
नकारात्मकता से घिरता जीवन
युवा पीढ़ी के दिखावटी-बनावटी होते बर्ताव से जुड़ी सबसे बड़ी चिंता नशीले पदार्थों के सेवन को लेकर है। महानगरों में ही नहीं दूर-दराज़ गांवों में भी नशे का जाल फैल गया है। जबकि नशे की आदत जीवन के हर पहलू पर दुष्प्रभाव डालती है। ऊर्जावान आयुवर्ग में ही बीमारियों का शिकार बना देती है। परिवार का ही नहीं देश का भविष्य कहे जाने वाले युवाओं को सदा के लिए दिशाहीन कर देती है। नशीले पदार्थों का सेवन व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक और यहां तक कि मानवीय सोच पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस जाल में फंसे युवा नशीले पदार्थ खरीदने के लिए आपराधिक गतिविधियों तक का हिस्सा बन जाते हैं। हिंसात्मक व्यवहार, सड़क दुर्घटनाएं और स्वयं अपना जीवन छीन लेने जैसी समस्याओं से तो नशे की लत गहराई से जुड़ी है। सुप्रीम अदालत ने भी ड्रग तस्करी के इस मामले की सुनवाई करते हुए युवाओं से समझदारी दिखाने की अपील करते हुए कहा है कि ‘यंगस्टर्स को समझना यह भी होगा कि ड्रग्स के इस्तेमाल से दूर रहें और अपने विवेक का इस्तेमाल करें। ना केवल दोस्तों के दबाव में आकर ड्रग्स लेने की प्रवृत्ति से दूर रहें बल्कि उन लोगों का अनुसरण करने से भी बचें जो इसकी लत के शिकार हैं।’ नकारात्मकता का घेरा कसने वाली इस आदत से युवाओं का दूर रहना ही उचित है। आमतौर पर सेलिब्रेशन के नाम पर शुरू होने वाली ऐसी आदतें भविष्य में समस्या बन जाती हैं।
सहज सलाह का सार्थक असर
न्यायालय की सहज सी लगने वाली सभी बातें असल में समग्र समाज का परिवेश सहेजने वाली हैं। देश की भावी पीढ़ी को स्वस्थ-सादी जीवनशैली की ओर प्रवृत्त करती हैं। आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाने वाली हैं। शोध पत्रिका ‘ड्रग एंड अल्कोहल रिव्यू’ द्वारा लैंगिक अपराध और शराब के संबंध पर किए गए सर्वेक्षणों के मुताबिक लैंगिक अपराध के लगभग आधे मामले नशे की हालत में ही होते हैं। ऐसे मामले भी समाने आ चुके हैं जिनमें नशे के लती युवा चोरी, झूठ और जालसाजी के साथ ही परिवारजनों की जान तक लेने से नहीं चूके। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में शराब पीना मौत और अपाहिज होने का पांचवां सबसे प्रमुख कारण है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी रिपोर्ट बताती है कि ज्यादा शराब पीने की आदत का दौ सौ से भी अधिक बीमारियों से संबंध है। बावजूद इसके हमारे देश में नशे के जाल में फंसते युवाओं के आंकड़े बढ़ रहे हैं। वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक़ दुष्कर्म, हत्या, डकैती, लूटमार जैसी छोटी-बड़ी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वालों में नशे का सेवन करने वालों के मामले लगभग 74 प्रतिशत हैं।
हर फ्रंट पर परेशानी
न्यायालय ने इस ताज़ा निर्णय में कहा है कि ‘नशे की लत सामाजिक-आर्थिक और मनोवैज्ञानिक मोर्चे पर बुरा प्रभाव डालती है। यह देश के युवाओं की चमक को ख़त्म करने वाली चीज़ है। इस लत से बचाने के लिए अभिभावकों, समाज और एजेंसियों को गंभीर प्रयास करने होंगे। इस जाल को खत्म करने के लिए सभी अपने-अपने स्तर पर कोशिश करें।’ सुप्रीम अदालत ने यह भी कहा है कि ‘इस समस्या से बचाव हेतु कुछ दिशा-निर्देश तय करने आवश्यक हैं। साथ ही स्नेह-साथ से नशे के जाल में फंसे लोगों को निकालने के प्रयास किये जाएं। ड्रग्स की लत के शिकार लोगों के प्रति हमारा नजरिया नकारात्मक न होकर, उनको सुधारने वाला होना चाहिए।’ मौजूदा समय में बड़ी चिंता है कि देश के किशोर और युवा नशे के बाजार के निशाने पर हैं। कम उम्र के ग्राहकों को ना सिर्फ लती बनाना बल्कि दोस्तों और हमउम्र लोगों तक ड्रग्स के बाजार को फैलाना भी आसान होता है। ऐसे में युवाओं का जीवन सहेजने के लिए परिवेशगत और व्यक्तिगत फ्रंट पर सजगता आवश्यक है। नासमझी से नशे के जाल में फंसे लोगों को चर्चित अमेरिकी फिल्म अभिनेता रॉबर्ट डाउनी जूनियर के शब्द चेताने वाले हैं। उनका कथन ‘याद रखिए कि आप नीचे गिर गए हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आपको वहीं रहना है’ समझाता है कि किसी भी तरह की बुरी आदत से निकलने का रास्ता अवश्य ढूंढें। गलती सुधारने का मार्ग सदा ही खुला होता है। नशे के लती बन कूल बनने की भूल ना करते हुए युवा अपनी ऊर्जा को सही-सार्थक दिशा देकर देश, समाज और परिवार की बेहतरी की बात सोचें।

Advertisement
Advertisement