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एमएसपी गारंटी कानून बनने तक किसान आंदोलन जारी रखने का संकल्प

08:35 AM Jun 26, 2024 IST
एमएसपी गारंटी कानून बनने तक किसान आंदोलन जारी रखने का संकल्प
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संगरूर, 25 जून (निस)
भारतीय किसान यूनियन (एकता-बीकेई) के प्रदेशाध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने खनौरी बाॅर्डर पर बताया कि कर्नाटक के टुमकुर जिले में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के आगामी कार्यक्रमों को लेकर दक्षिण भारत के संगठनों की मीटिंग हुई। इसमें मुख्य तौर पर कुर्बुरु शांताकुमार (कर्नाटक), सुखजीत सिंह, हरसुलिन्दर सिंह (पंजाब), लखविंदर सिंह औलख, अभिमन्यु कोहाड़, जफर खान (हरियाणा) पी आर पांडियन व केएम रामागौंडर (तमिलनाडु), वेंकेटेश्वर राव (तेलंगाना), के वी बीजू (केरल) आदि किसान नेताओं ने भाग लिया। बैठक में फैसला लिया गया कि किसान आंदोलन-2 को और मजबूती देने व देशव्यापी बनाने के लिए चल रहे कार्यक्रमों के तहत 26 जून को बेंगलुरु में प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की जायेगी। इसके बाद 26 जून शाम को ही बेंगलुरु में खेतीबाड़ी विशेषज्ञों के साथ चर्चा होगी। 27 जून को आंध्र प्रदेश के हिंदूपुर में किसान सम्मेलन आयेजित किया जायेगा और 28 जून को हैदराबाद में मीटिंग व प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी। उसके बाद एसकेएम गैर-राजनीतिक का प्रतिनिधिमंडल पूर्वी भारत के उड़ीसा, बिहार सहित कई राज्यों में किसान सम्मेलन व प्रेस कांफ्रेंस करेगा। मीटिंग में मौजूद किसान नेताओं व सभी किसानों ने संकल्प लिया कि जब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बनेगा, तब तक किसान आंदोलन मजबूती से जारी रहेगा।
किसान नेताओं ने कहा कि आगामी 8 जुलाई को देशभर में सभी सांसदों (भाजपा सांसदों को छोड़कर) को मांगपत्र दिया जाएगा और एमएसपी गारंटी कानून का मुद्दा संसद में उठाने की मांग की जाएगी। किसान नेताओं ने रविवार को शम्भू बॉर्डर पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा किसानों की स्टेज पर किये गए हमले की कड़ी निंदा की और सरकार को चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द से जल्द उन असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की तो दोनों मोर्चे बड़ा कदम उठाने को मजबूर होंगे।
किसान नेताओं ने फैसला किया कि सितंबर के पहले सप्ताह में हरियाणा में होने वाली राष्ट्रीय स्तर की पंचायत में दक्षिण भारत से भी हजारों की संख्या में किसान भाग लेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि किसानों की नाराजगी के कारण भाजपा को लोकसभा चुनाव में ग्रामीण इलाकों में भारी नुकसान उठाना पड़ा है और अब भी एनडीए सरकार अपनी किसान-विरोधी नीतियों में बदलाव नहीं कर रही है।

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