आस्था की दृष्टि
06:29 AM May 09, 2024 IST
एक मिशनरी ने स्वामी रामकृष्ण से पूछा, ‘वे माता काली के रोम-रोम में अनेक ब्रह्मांड होने की बात करते हैं और उस छोटी-सी मूर्ति को काली कहते हैं, यह कैसे?’ इस पर परमहंस ने पूछा, ‘सूरज दुनिया से कितना बड़ा है?’ उन्होंने उत्तर दिया, ‘नौ लाख गुना।’ परमहंस ने फिर पूछा-‘तब वह इतना छोटा कैसे दिखाई देता है?’ मिशनरी ने कहा, ‘नौ लाख गुना होने पर भी सूरज हमसे बहुत दूर है। इसलिए वह इतना छोटा दिखाई देता है।’ परमहंस ने फिर पूछा, ‘कितनी दूर?’ उन्होंने बताया, ‘नौ करोड़, तीस लाख मील।’ परमहंस ने विनम्रता से जवाब दिया, ‘ठीक इसी प्रकार आप मां काली से इतनी दूर हैं कि आपको वे छोटी दिखाई देती हैं। मैं उनकी गोद में हूं। इसलिए मुझे वे बड़ी लगती हैं। आप स्थूलदृष्टि से पत्थर देखते हैं, मैं आस्था की दृष्टि से शक्तिपुंज देखता हूं।’
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प्रस्तुति : मुकेश ऋषि
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