For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.

प्लेनेटोरियम में गतिमान तारों का आभास

08:02 AM Jun 13, 2024 IST
प्लेनेटोरियम में गतिमान तारों का आभास
Advertisement

प्लेनेटोरियम को हम हिंदी में ताराघर या तारामंडल कह सकते हैं। वास्तव में यह एक ऐसा भवन होता है, जहां लोगों को खगोल विज्ञान के बारे में ज्ञानवर्धक सूचनाएं मनोरंजक अंदाज में दी जाती हैं। तारामंडल में गुंबद के आकार की छत होती है और उसके इर्द-गिर्द दर्शकों के बैठने के लिए स्टेडियम के अंदाज का हॉल होता है। इस विशेष हॉल में एक प्रोजेक्टर गुंबददार छत पर उभर रही छवियों पर रोशनी डालकर उन्हें चमकाता है और इससे संबंधित जरूरी जानकारियां वहां बैठे लोगों को कमेंट्री करके दी जाती हैं। कई तारामंडलों में दूरबीनें होती हैं, जिनसे आप अंतरिक्ष के बारे में देख सकते हैं और व्यावहारिक रूप से गहन जानकारियां पा सकते हैं। तारामंडलों का कोई निश्चित आकार नहीं होता। पर जिसे दुनिया का प्लेनेटोरियम नबंर वन कहा जाता है, वह तारामंडल रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में स्थित है और इसके गुंबद का आकार 37 मीटर है। लेकिन महज 3 मीटर के पोर्टेबल गुंबद भी होते हैं और यहां खगोल जानकारियां पाने को लोग जमीन पर बैठते हैं।
भारत के विख्यात तारामंडल
भारत में 30 तारामंडल है, इनमें 4 सबसे मशहूर है जो क्रमशः मुंबई, नई दिल्ली, बंग्लुरु व इलाहाबाद में स्थित हैं और ये चारों जवाहरलाल नेहरू के नाम से जाने जाते हैं। इन चारों तारामंडलों के अलावा एक औद्योगिक घराने द्वारा वित्त पोषित चार तारामंडल क्रमशः कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद व जयपुर में स्थित हैं।
ग्रह-उपग्रह और तारों के चलने का आभास
ताराघरों में लोग अंधेरे में बैठकर जब गुंबद की ओर देखते हैं, तो ऐसा आभास होता है, जैसे वे किसी खुले स्थान में बैठे हुए आकाश की छटा देख रहे हों। यहां विभिन्न ग्रह-उपग्रह और तारे चलते हुए प्रतीत होते हैं। खगोलीय पिंडों के विषय में जानकारी प्रदान करने वाले ये बड़े ही उपयोगी ताराघर होते हैं। इनके जरिये सूर्य, चंद्रमा और तारों की आकाश में होने वाली वार्षिक गति को बहुत अच्छी तरह से चंद मिनटों में देखा और समझा जा सकता है। आधुनिक प्लेनेटोरियम में स्लाइड दिखलाने वाले प्रोजेक्ट लगे रहते हैं। इनके द्वारा अंतरिक्ष यात्राओं और दूसरे ग्रहों पर उतरने के दृश्य भी दिखलाये जाते हैं। तारामंडलों का उपयोग खगोलशास्त्रियों, नाविकों और छात्रों को आकाश के तारों आदि के बारे में शिक्षित करने के लिए भी किया जाता है।
छोटे-बड़े यंत्रों का उपयोग
तारामंडलों का महत्व अंतरिक्ष संबंधी ज्ञान बढ़ने के साथ ही बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण, बादल, कुहरे आदि के कारण आकाश में किसी ग्रह या तारे का पता लगाना बहुत कठिन होता है पर इन्हें हम तारामंडल में सरलता से देख सकते हैं। उनकी स्थिति, विवरण और गति आदि की पूरी जानकारी भी हमें मिल जाती है। प्लेनेटोरियम की रचना बहुत ही जटिल होती है। इसमें बहुत से लेंस, प्रिज्म और दर्पण लगे होते हैं। अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को शहर में स्थित प्लेनेटोरियम में लगभग 25000 छोटे-बड़े यंत्र हैं और इस प्रोजेक्टर का वजन लगभग 2.5 टन है। सबसे पहला प्लेनेटोरियम जीज ओप्टीकल कंपनी, पूर्वी जर्मनी के वाल्टर ने 1923 में बनाया था। इसके द्वारा खगोलीय पिंडों की एक वर्ष में होने वाली गति को कुछ ही मिनटों में दिखाया जा सकता है। आज संसार के सभी देशों में, बड़े-बड़े शहरों में प्लेनेटोरियम बने हुए हैं, जिनसे हजारों दर्शक अपनी ज्ञान वृद्धि करते हैं।
स्पेशल क्विज
* भारत में बंधुआ श्रमिक प्रथा कब समाप्त की गई? - 24 अक्तूबर, 1975 को
* दूरदर्शन महानिदेशक का कार्यालय कहां है? - राजधानी दिल्ली स्थित ‘मंडी हाउस’ में
* ‘इंडिया इज फॉर सेल’ किताब के लेखक कौन हैं? - चित्रा सुब्रह्मण्यम
* ‘ए प्रिजनर्स स्क्रैप बुक’ के रचयिता कौन हैं? - लालकृष्ण आडवाणी
* भारत में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस कब मनाया जाता है? - 14 दिसंबर
* हर साल ‘विश्व विकास रिपोर्ट’ कौन जारी करता है? - विश्व बैंक
* भारत की ‘बायोटेक’ राजधानी कौन सी है? - बंग्लुरु
-इ. रि.सें.

Advertisement
Advertisement
Advertisement
Advertisement
×