शिखर बैठक में टमाटर छूने को बेताब सब्जियां
आलोक पुराणिक
शिखर समिट, शिखर बैठक सिर्फ नेताओं के बीच ही नहीं होती, इधर सब्जियां भी शिखर बैठक कर रही हैं। टमाटर दो सौ रुपये प्रति किलो के पार जाकर बाकी सब्जियों से कह रह था कि आओ, नयी ऊंचाइयां छूयें। अदरक कई जगह 400 रुपये प्रति किलो के पार और ऊपर जाकर सबको चुनौती दे रहा है कि ऊंचाइयां और भी हैं।
लहसुन 200 के पार पहुंचकर बता रहा है कि उसे भी किसी से पीछे न समझा जाये, चाहे तो वह भी टमाटरी ऊंचाइयां छू सकता है। सब्जियां शिखर छू रही हैं। सबके साथ, सबका विकास – तमाम सब्जियां आपस में हिल-मिलकर यह नारा लगाती हुई दिख रही हैं।
एक साल खबरें आती हैं- किसान इतने नाराज हैं टमाटरों के सस्ते भावों से कि टमाटरों को सड़क पर फेंका जा रहा है। फिर कुछ साल बाद खबर आती है कि टमाटरों के खरीदार बहुत नाराज हैं, टमाटर के भाव लगातार ऊंचे जा रहे हैं। टमाटर गिर जाता है, फिर उठ जाता है, फिर गिर जाता है, फिर उठ जाता है, नियमितता के साथ होता है यह सब और जाने कितने सालों से। समस्या कई सालों से है, पर सोल्य़ूशन नहीं निकाला जा रहा है। फिर सिंपल-सा काम यह किया जा सकता है कि टमाटर-डाउन महोत्सव और टमाटर-अप महोत्सव मनाया जा सकता है।
अभी एक टीवी चैनल से मैंने निवेदन किया कि प्लीज टमाटरों की महंगाई पर कुछ कार्यक्रम बनाइये, तो उन्होंने अपने रिपोर्टर को आर्डर दिया कि जाओ रिपोर्ट लेकर आओ कि सीमा भाभी टमाटर कहां से खरीदती हैं और अगर नहीं खरीदतीं, तो क्यों नहीं खरीदतीं। टीवी चैनलों का मुल्क सीमा भाभीमय हो गया है।
अदरक, लहसुन सब कूद-फांद कर रहे हैं, मानो शिकायत कर रहे हों कि सारा अटेंशन सिर्फ टमाटर क्यों ले जायें, अदरक और लहसुन को भी अटेंशन चाहिए। सब्जियों की शिखर बैठक हो रही है तो सबको अटेंशन मिलेगा, बस टेंशन में गृहिणी है कि और कितना ऊपर जायेंगे। इंसान और सब्जियों में यही फर्क है कि इंसान से कैरेक्टर के मामले में कहना पड़ता है- और कितना गिरोगे और सब्जियों से कहना होता है- और कितना ऊपर, कितना ऊपर।
टमाटर, लहसुन और अदरक की शिखर बैठक में इस बार प्याज गायब है। वरना प्याज अकेला ही कई बार टॉप की यात्रा शुरू कर देता है। अपने शिखर अकेले ही तान लेता है। पर अबकी बार दूसरी सब्जियों ने भी चढ़ाई शुरू कर दी है, और प्याज को बिना साथ लिए हुए। सबके दिन फिरते हैं।
टमाटर की कीमतों के आसमान छूने की वजहें तलाशने के लिए सरकारी आयोग बनाया जा सकता है। उसकी सिफारिशें जब तक आयेंगी, तब टमाटर के गिरते भाव समस्या बन चुके होंगे, जी ऐसे काम करें, तो तब ही सरकार को सरकार माना जा सकता है।