पितरों के तर्पण को समर्पित वैशाखी अमावस्या
आर.सी. शर्मा
हिंदू सनातन धर्म में सभी अमावस्याओं का धार्मिक महत्व है। लेकिन वैशाख अमावस्या का महत्व और कई वजहों से विशेष है। माना जाता है कि इस दिन अगर पितरों का तर्पण किया जाए तो उन्हें बैकुंठ धाम मंे जगह मिलती है। इसलिए वैशाखी अमावस्या के दिन हिंदू सभी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और अपने पितरों का तर्पण करते हैं। वैशाखी अमावस्या भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके लोटे में तिल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से पितृ दोष दूर हो जाते हैं।
शास्त्रों के मुताबिक वैशाख अमावस्या के दिन दान करने से साधक को पुण्य प्राप्त होता है। वैशाख अमावस्या को सतुवाई अमावस्या भी कहते हैं, क्योंकि इस दिन सत्तू खाने और दान में देने का विधान है। जहां तक इस साल वैशाख अमावस्या के मुहूर्त का सवाल है तो यह 7 मई को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगा और 8 मई को सुबह 8 बजकर 51 मिनट पर खत्म होगा। वैशाख अमावस्या के दिन उपवास रखने वालों के लिए इस दिन के जो नियम निर्धारित हैं, उनके मुताबिक उपवास रखने वाले व्यक्ति को गंगा या अपने आसपास की किसी भी बहती हुई पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। फिर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करना चाहिए। इस दिन राह चलते लोगाें को पानी पिलाने से बहुत पुण्य होता है।
इस दिन सुबह पक्षियों के लिए पेड़ों और घरों के छज्जों में पानी के बर्तन बांधकर उनमें पानी भरना चाहिए। दरअसल, वैशाख अमावस्या के समय उत्तर भारत मंे बहुत गर्मी पड़ती है, इसलिए राहगीरों को पानी पिलाना और पशु-पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना पुण्य का काम होता है। वैशाख अमावस्या की शाम पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने का नियम है और पितरों के नाम पर गरीबों, बेसहारा पशुओं विशेषकर कुत्तों और कौओं को भोजन कराना चाहिए। कहते हैं इस दिन अगर आपका दिया हुआ भोजन कौए और कुत्ते खाते हैं, तो वह सीधे आपके पितरों तक पहुंचता है। चींटियों को आटे में शकर मिलाकर खिलाना भी इस दिन सही माना जाता है। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े का दान देने से बहुत पुण्य मिलता है।
वैशाख के महीने का विशाख नक्षत्र से संबंध होने के कारण इस महीने में भगवान विष्णु, परशुराम और देवी मां की उपासना की जाती है। इस दिन शरीर पर तेल मालिश नहीं करनी चाहिए और न ही पूरे वैशाख के महीने में सूर्यास्त के बाद खाना, खाना चाहिए। वैशाख का महीना बहुत ही पवित्र महीना है। धार्मिक कर्मकांड के नजरिये से इस महीने अक्षय तृतीया, वरुथिनी एकादशी, बुद्ध पूर्णिमा और सीता नवमी सहित कई प्रमुख व्रत व त्योहार आते हैं। वैशाख दरअसल नानकशाही कैलेंडर का दूसरा महीना होता है। वैशाख का दूसरा नाम माधव मास भी है। इससे पता चलता है कि यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। इसलिए इस महीने में तुलसी पूजन का भी खास महत्व है।
इस पूरे माह में सुबह के समय तुलसी के पौधे पर जल अर्पित करना चाहिए और शाम के समय घी का दीपक जलाना चाहिए। वैशाख का महीना अत्यंत गर्म और धूल से भरा होता है। इस महीने में आमतौर पर पशु पक्षी काफी बेचैन रहते हैं।
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